राज्य सरकारों का दावा- स्टॉक में है भरपूर यूरिया, फिर भी किसानों को नहीं मिल रही खाद.. आखिर क्या है सच्चाई

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि प्रदेश में परेशानी सिर्फ जमाखोरी, कालाबाजारी और तस्करी की वजह से हो रही है. उन्होंने कहा कि अब तक 1196 फुटकर विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द किए गए हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 23 Aug, 2025 | 04:39 PM

उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में खाद की किल्लत हो गई है. महज एक बोरी यूरिया के लिए किसानों को घंटों कतार में इंतजार करना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी किसानों को उर्वरक नहीं मिल रहा है. इससे धान सहित अन्य खरीफ की फसलें प्रभावित हो रही हैं. हालांकि, किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार भरपूर कोशिश कर रही है. खाद का सही तरह वितरण करने के लिए प्राइवेट एजेंसियों को हायर किया गया है. जबकि, तेलंगाना सरकार ने खाद को लेकर केंद्र सरकार पर भेदभाव करने का आरोप लगया है. वहीं, बिहार में खाद की कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है. कई खाद डीलरों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं.

बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो राज्य सरकार का दावा है कि प्रदेश में किसानों के लिए खाद का भरपूर स्टॉक मौजूद है. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि प्रदेश में इस समय 15.91 लाख मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है. खरीफ 2024 सीजन में अब तक 32.07 लाख मीट्रिक टन खाद बिक चुकी है, जो पिछले साल से 4.5 लाख मीट्रिक टन ज्यादा है. उन्होंने कहा कि 15 से ज्यादा जिलों में 10,000 मीट्रिक टन से अधिक यूरिया की खपत हुई है. फिर भी कहीं कोई कमी नहीं होने दी गई. उन्होंने कहा कि रबी 2025-26 के लिए सरकार ने 138.78 लाख हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले साल 132.86 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी.

यूपी में 132 खाद विक्रेताओं को नोटिस

सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्रदेश में परेशानी सिर्फ जमाखोरी, कालाबाजारी और तस्करी की वजह से हो रही है. उन्होंने कहा कि अब तक 1196 फुटकर विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द किए गए हैं. 132 थोक विक्रेताओं को नोटिस दिया गया है, 13 को सस्पेंड किया गया और 4 के लाइसेंस रद्द हुए हैं. साथ ही 93 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है. सीतापुर, बलरामपुर और श्रावस्ती के जिला कृषि अधिकारियों को निलंबित किया गया है. वहीं, महाराजगंज और सिद्धार्थनगर जैसे बॉर्डर जिलों में कई लोग पकड़े गए हैं, जिन्होंने बिना खेत के ही दर्जनों बोरी यूरिया ले ली थी. हालांकि, इसके बावजूद भी किसानों को खाद लेने के लिए घंटों कतार में इंतजार करना पड़ रहा है.

अब समय पर मिलेगा किसानों को खाद

वहीं, यूपी एग्रो इनपुट डीलर एसोसिएशन (यूपीएआईडीए) ने खाद की कमी को लेकर चिंता जताई है. संगठन का कहना है कि बारिश के बाद अचानक मांग बढ़ गई है, जिससे बाजार में संकट पैदा हुआ है. सहकारी समितियों की दुकानों पर खाद कम मिल रही है और थोक व खुदरा बाजार में इसकी कीमतें बढ़ गई हैं. यही वजह है कि किसानों को खाद मिलने में दिक्कत हो रही है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राइवेट एजेंसियों के जरिए खाद वितरण करने का फैसला लिया. क्योंकि इससे किसानों को कतार में इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

मध्य प्रदेश में भी खाद की कालाबाजारी

मध्य प्रदेश में यूपी तरह ही किसानों को खाद लेने के लिए दुकानों के बाहर लाइन लगना पड़ रहा है. खास कर शहडोल जिले के किसान इन दिनों यूरिया के लिए काफी परेशान हैं. हालांकि, जिला विपणन अधिकारी का कहना है कि अब यूरिया की खेप जिले में पहुंच चुकी है और इसे अलग-अलग समितियों में भेजा जा रहा है. मंगलवार को नरसरहा डिपो में खाद लेने के लिए बड़ी संख्या में किसान जुटे और भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी. अधिकारी ने कहा कि कई दिनों से खाद की कमी थी और जो भी खेप आती थी, वह डबल लॉक केंद्रों में ही खत्म हो जा रही थी. समितियों तक नहीं पहुंच पा रही थी. अब जिले में करीब 1,000 टन यूरिया उपलब्ध है और इसे जरूरत के मुताबिक केंद्रों पर भेजा जा रहा है. कई स्थानों पर खाद पहुंच भी चुकी है.

एमपी में यूरिया का भंडारण 15.60 लाख मीट्रिक टन

हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि मध्य प्रदेश में यूरिया का कुल भंडारण 15.60 लाख मीट्रिक टन है, जिसमें से 13.92 लाख मीट्रिक टन किसानों को वितरित किया गया है और 1.68 लाख मीट्रिक टन यूरिया शेष है. प्रदेश में मक्का का क्षेत्रफल लगभग 5 लाख हेक्टेयर बढ़ जाने के कारण यूरिया की मांग बढ़ी है. आगामी डेढ़ माह में 5.60 लाख मीट्रिक टन यूरिया प्राप्त होने की संभावना है. वहीं, उत्तर प्रदेश की तरह मध्य प्रदेश में भी उर्वरकों की कालाबाजारी, अवैध भंडारण, गैरकानूनी परिवहन और नकली खाद के मामलों लगातार कार्रवाई हो रही है. 22 जुलाई तक कुल 30 एफआईआर दर्ज की गई हैं, 56 लाइसेंस रद्द किए गए, 70 लाइसेंस सस्पेंड हुए और 188 विक्रेताओं की बिक्री पर रोक लगाई गई.

तेलंगाना में खाद किल्लत और सरकार का आरोप

तेलंगाना में भी इस समय यूरिया की भारी कमी हो गई है. इससे किसान परेशान हैं और कांग्रेस, बीआरएस और बीजेपी के बीच सियासी लड़ाई तेज हो गई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने खरीफ 2025 के लिए तेलंगाना को 9.8 लाख मीट्रिक टन यूरिया आवंटित किया था, जिसमें से अगस्त तक 8.3 मीट्रिक टन की जरूरत थी. लेकिन अब तक राज्य को सिर्फ 5.42 मीट्रिक टन ही मिला है, यानी करीब 2.88 मीट्रिक टन की कमी है. खुद मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और राज्य के कृषि मंत्री तुम्माला नागेश्वर राव ने केंद्र सरकार पर भेदभाव करने आरोप लगाया है. उनका कहना है कि केंद्र ने यूरिया की जितनी मात्रा का वादा किया था, उतनी आपूर्ति नहीं की गई.

बिहार में मांग के मुकाबले खाद की उपलब्धता

वहीं, बिहार में खाद की किल्लत को दूर करने और उर्वरकों की सप्लाई को लेकर सरकार ने निगरानी बढ़ा दी है. किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए कृषि विभाग लगातार छापेमारी कर रहा है. प्रधान सचिव पंकज कुमार का कहना है कि सरकार ज्यादा कीमत वसूली और कालाबाजारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है. खरीफ 2025 सीजन में अब तक 34 उर्वरक दुकानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है और 214 का लाइसेंस रद्द किया जा चुका है. अधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार ने खरीफ 2025 सीजन के लिए बिहार को 10.32 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 2.20 लाख मीट्रिक टन डीएपी, 2.50 लाख मीट्रिक टन एनपीके, 0.50 लाख मीट्रिक टन एमओपी और 0.75 लाख मीट्रिक टन एसएसपी देने का लक्ष्य तय किया है. जबकि, 19 अगस्त, 2025 तक बिहार में 1.76 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 1.00 लाख मीट्रिक टन डीएपी, 1.91 लाख मीट्रिक टन एनपीके, 0.54 लाख मीट्रिक टन एमओपी और 0.92 लाख मीट्रिक टन एसएसपी उपलब्ध है.

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Published: 23 Aug, 2025 | 04:32 PM

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