पिछले कुछ दिनों में लंपी वायरस ने फिर से मवेशियों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया है. खासकर गायों में इस बीमारी का प्रकोप तेजी से बढ़ता नजर आ रहा है. ये बीमारी न सिर्फ पशुओं की सेहत के लिए खतरा है, बल्कि दूध उत्पादन पर भी बुरा असर डाल रही है. जिससे पशुपालकों की आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है. ऐसे में लंपी वायरस को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है. लेकिन अगर समय रहते सतर्कता बरती जाए, तो इस बीमारी से बचाव संभव है.
ये हैं लंपी वायरस के लक्षण, पहचान जरूरी है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लंपी वायरस एक विषाणु जनित बीमारी है, जो गाय, भैंस जैसे मवेशियों को तेजी से अपनी चपेट में ले लेती है. इस बीमारी में सबसे पहले पशु को तेज बुखार आता है. इसके बाद आंख और नाक से पानी गिरने लगता है. धीरे-धीरे पूरे शरीर पर गोल-गोल गांठें उभर आती हैं और पैरों में सूजन आ जाती है. कई बार पशु दूध देना भी बंद कर देता है और खाना-पीना छोड़ देता है. अगर इन लक्षणों को समय पर नहीं पहचाना गया तो हालत गंभीर हो सकती है. इसलिए जैसे ही कोई लक्षण दिखे, संक्रमित पशु को बाकी मवेशियों से अलग कर देना चाहिए और उनके आने-जाने पर रोक लगानी चाहिए.
साफ-सफाई से ही रुकेगा संक्रमण
लंपी से बचाव का सबसे आसान और जरूरी तरीका है स्वच्छता. पशु बाड़े में गंदगी, नमी और कीचड़ वायरस को पनपने का मौका देती है. इसलिए बाड़े में रोज सफाई होनी चाहिए. नमी न रहने दें और जहां जानवर बैठते हैं वहां चूना या राख डालें. साथ ही, नीम की पत्तियों, गूगल, कपूर और लोबान का धुआं बाड़े में करने से कीटाणु और वायरस मरते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये देसी उपाय संक्रमण को रोकने में काफी कारगर होते हैं. पशुओं को फिटकरी के पानी और नीम की पत्तियों से नहलाना भी शरीर की सफाई और वायरस से बचाव में मदद करता है.
तुलसी, आंवला, गिलोय जैसी चीजें बढ़ाएंगी रोग प्रतिरोधक क्षमता
पशु चिकित्सकों का मानना है कि अगर मवेशियों की इम्यूनिटी मजबूत होगी, तो वे वायरस से बेहतर तरीके से लड़ पाएंगे. इसके लिए घरेलू उपायों में तुलसी, गिलोय, आंवला, मुलेठी, सोंठ और अश्वगंधा जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां काफी असरदार हैं. इन जड़ी-बूटियों को गुड़ के साथ मिलाकर खिलाने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इससे लंपी के लक्षण अगर दिख भी जाएं तो बीमारी गंभीर रूप नहीं लेती. हालांकि डॉक्टरों की सलाह है कि केवल घरेलू उपायों पर भरोसा न करें. अगर जानवर की हालत बिगड़ती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
टीकाकरण ही है लंपी से बचाव का सबसे बड़ा हथियार
लंपी वायरस से बचाव का सबसे असरदार उपाय है टीकाकरण. पशुपालन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जिन पशुओं का समय पर टीकाकरण हो जाता है, उनमें वायरस का असर बहुत कम होता है या नहीं होता. इसलिए हर पशुपालक को चाहिए कि अपने मवेशियों का समय-समय पर लंपी वायरस का टीका लगवाएं. इसके साथ ही, बाड़े में गोबर के कंडे जलाकर उसमें लोबान, कपूर और नीम की पत्तियां डालने से वातावरण शुद्ध होता है और वायरस फैलने का खतरा घटता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंपी वायरस की मृत्यु दर करीब 10 फीसदी है और इसका संक्रमण 40 प्रतिशत तक फैल सकता है. ऐसे में घबराने की नहीं, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है.