बिच्छू के जहर से करोड़ों की कमाई, जानिए कैसे होता है ये अनोखा बिजनेस

आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन सिर्फ 1 गैलन (3.7 लीटर) बिच्छू के जहर की कीमत करीब ₹325 करोड़ रुपये तक रहती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 11 Apr, 2025 | 12:50 PM

बिच्छू यानी स्कॉर्पियन, नाम सुनते ही कई लोगों के मन में डर बैठ जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही बिच्छू अब दुनिया के कई हिस्सों में करोड़ों की कमाई का जरिया बन चुका है? जी हां, अब बिच्छुओं से निकाला गया जहर दवाइयों, रिसर्च और कॉस्मेटिक्स के काम आ रहा है और इसे बेचकर लोग लाखों-करोड़ों कमा रहे हैं. तो आइए जानते हैं आपके मन में आने वाले हर सवाल का जवाब.

बिच्छू का जहर क्यों है इतना खास?

बिच्छू का जहर जानलेवा जरूर होता है, लेकिन इसमें मौजूद खास तरह के प्रोटीन और तत्व वैज्ञानिकों के लिए बेहद काम के हैं. बिच्छू के जहर में सैकड़ों तरह के टॉक्सिन (विषाक्त पदार्थ) होते हैं जो इंसानों और पौधों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं. यही जहर अब गंभीर बीमारियों के इलाज में कारगर साबित हो रहा है. जैसे:

कैंसर: बिच्छू के जहर के कुछ हिस्से कैंसर कोशिकाओं पर असर करते हैं और बाकी स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाते.

नर्व और ब्रेन से जुड़ी बीमारियां: मल्टीपल स्क्लेरोसिस, मिर्गी, और आर्थराइटिस जैसी बीमारियों में इसका इस्तेमाल हो रहा है.

दर्द निवारक दवाएं: ऐसे पेनकिलर बन रहे हैं जो बिना नशे के दर्द को दूर करते हैं.

ब्यूटी प्रोडक्ट्स: इसके जहर में ऐसे तत्व पाए गए हैं जो स्किन रिपेयर और एंटी-एजिंग में मदद करते हैं.

बिच्छू के जहर की कीमत

आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन सिर्फ 1 गैलन (3.7 लीटर) बिच्छू के जहर की कीमत करीब ₹325 करोड़ रुपये तक रहती है. इसकी एक बड़ी वजह है कि एक बिच्छू से सिर्फ कुछ मिलीग्राम जहर ही निकलता है. यानी एक छोटी सी बोतल भरने के लिए हजारों बिच्छूओं की जरूरत होती है.

कौन-कौन से देश कर रहे हैं ये कारोबार?

बिच्छू के जहर का कारोबार दुनियाभर में धीरे-धीरे बढ़ रहा है. ईरान इस बिजनेस में सबसे आगे है, जहां बिच्छू पालन को सरकार का भी समर्थन मिलता है. पाकिस्तान और भारत जैसे देशों में भी अब कुछ लोग बिच्छू पकड़कर उसका जहर निकालने में रुचि दिखा रहे हैं, क्योंकि इसकी कीमत करोड़ों में होती है. चीन में पारंपरिक दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है, वहीं मैक्सिको और अफ्रीका के कुछ देशों जैसे मोरक्को और ट्यूनिशिया में भी मेडिकल रिसर्च के लिए बिच्छू के जहर पर काम हो रहा है. दुनिया के कई हिस्सों में लोग इसे नया और मुनाफे वाला कारोबार मानकर अपनाने लगे हैं.

कैसे निकलता है जहर?

बिच्छू से जहर निकालना एक बहुत सावधानी वाला काम है. इसके लिए हल्के इलेक्ट्रिक करंट की मदद से बिच्छू को जहर निकालने के लिए उत्तेजित किया जाता है. उसकी पूंछ से एक बूंद सफेद जहर निकलता है, जिसे बोतल में इकट्ठा किया जाता है. इस दौरान सुरक्षा के लिए खास दस्ताने और उपकरण पहनने जरूरी होते हैं.

क्या ये काम आसान है?

नहीं, ये काम इतना आसान नहीं है. इसमें कई मुश्किलें होती हैं. सबसे पहले तो इसमें बहुत ज्यादा पैसा लगाना पड़ता है. फिर, जहर निकालने के लिए खास ट्रेनिंग और सुरक्षा जरूरी होती है क्योंकि बिच्छू खतरनाक होते हैं. इसके अलावा, बिच्छू बहुत कम जहर निकालते हैं, तो इसे इकट्ठा करने में बहुत समय और धैर्य लगता है. और सबसे बड़ी बात, हर देश में इसकी इजाजत भी नहीं होती, इसलिए कानूनों का ध्यान रखना भी जरूरी है. इसके साथ ही इसके खरीदार सीमित होते हैं, ज्यादातर दवा कंपनियां या रिसर्च सेंटर ही इस जहर को खरीदते हैं.

क्या भारत में कर सकते हैं ये कारोबार?

भारत में बिच्छू के जहर का कारोबार पूरी तरह से बैन नहीं है, लेकिन यह काफी नियमों के तहत किया जाता है. बिच्छू पालना और उनका जहर निकालना तभी संभव है जब आपके पास सरकार की अनुमति हो और आप वन्यजीव संरक्षण कानून जैसे नियमों का पालन करें. इसका मकसद बिच्छुओं की प्रजातियों की सुरक्षा और नैतिक तरीके से काम करना होता है.

बिच्छू का जहर बहुत कीमती होता है और इसका इस्तेमाल दवाओं और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में किया जाता है, खासकर दर्द कम करने वाली दवाओं में. इसलिए दुनिया भर में इसका कारोबार बढ़ रहा है, और भारत में भी कुछ लोग इस क्षेत्र में रुचि दिखा रहे हैं.

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