गुजरात का आनंद कैसे बना दुनिया की दूध राजधानी, जानिए अमूल और श्वेत क्रांति की असली कहानी

गुजरात का छोटा शहर आनंद आज दुनिया में Milk Capital of the World के नाम से जाना जाता है. यहां शुरू हुआ सहकारी मॉडल, अमूल का उदय और डॉ. कुरियन की श्वेत क्रांति ने भारत के डेयरी उद्योग को बदल दिया. इस शहर ने किसानों की किस्मत और देश की दूध अर्थव्यवस्था दोनों को मजबूत बनाया.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 29 Nov, 2025 | 11:49 AM

Milk Capital : भारत में चाय की खुशबू हो या घर की रसोई में बनती मिठाइयांदूध हर जगह काम आता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत कैसे दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना? इस बड़े बदलाव की जड़ें छिपी हैं गुजरात के आनंद नाम के छोटे से शहर में, जिसे आज पूरी दुनिया में Milk Capital of the World कहा जाता है. यह सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि वह जगह है जहां से भारत की डेयरी क्रांति शुरू हुई और जिसने किसानों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी.

आनंद कैसे बना दुनिया का दूध केंद्र?

आनंद की कहानी 1946 में शुरू होती है, जब यहां के साधारण किसान दूध कारोबार  में होने वाले शोषण से परेशान थे. वे दिन-रात मेहनत करके दूध बेचते थे, लेकिन बिचौलियों के कारण उन्हें सही दाम नहीं मिलता था. इसी परेशानी ने किसानों को एकजुट किया और उन्होंने मिलकर एक दुग्ध सहकारी संस्था बनानी शुरू की. यह कदम छोटा था, लेकिन असर बहुत बड़ा निकला. धीरे-धीरे यह आंदोलन इतना मजबूत हो गया कि देशभर में इसकी चर्चा होने लगी. इस आंदोलन को दिशा देने के लिए किस्मत ने आनंद को एक ऐसा व्यक्ति दिया जिसने पूरी दुनिया की डेयरी सोच बदल दी. यह व्यक्ति थे डॉ. वर्गीज कुरियन, जिन्हें आज भी श्वेत क्रांति के जनक के नाम से जाना जाता है. उन्होंने किसानों को सिखाया कि अगर वे संगठित होकर अपने उत्पाद पर अधिकार रखें, तो उनकी आमदनी कई गुना बढ़ सकती है. उनकी इसी सोच ने आनंद को वैश्विक नक्शे पर सबसे खास जगह दिलाई.

डॉ. कुरियन की मेहनत ने बदल दिया दूध का पूरा खेल

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब डॉ. कुरियन ने इस सहकारी आंदोलन की बागडोर संभाली, तब आनंद सिर्फ एक छोटा शहर था, लेकिन उनकी दूरदर्शी सोच ने इसे डेयरी उद्योग का केंद्र बना दिया. उन्होंने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीकें अपनाईं, बड़े स्तर पर दूध एकत्रित करने की व्यवस्था बनाई और किसानों को आधुनिक तरीके से काम करना सिखाया. उनके नेतृत्व में दूध की मात्रा भी बढ़ी और उसकी गुणवत्ता भी सुधरी. इसी दौरान जन्म हुआ Amul का, जो आगे चलकर भारत का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद डेयरी ब्रांड  बना. अमूल ने दूध, बटर, चीज, पनीर और आइसक्रीम जैसे उत्पादों को देश के हर घर तक पहुंचाया. आज हम जो Amul Girl के विज्ञापन देखते हैं, वह भी इसी क्रांति का हिस्सा है. डॉ. कुरियन की वजह से लाखों किसान सिर्फ दूध बेचकर सम्मान और स्थिर आय कमाने लगे, जो पहले मुश्किल था.

आनंद मॉडल ने पूरे भारत के गांवों को दिया सहारा

आनंद में शुरू हुई सहकारी व्यवस्था धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गई. पहले जहां किसानों को दूध बेचने में कई दिक्कतें होती थीं, वहीं अब उन्हें रोजाना आय मिलने लगी. सहकारी समितियों ने गांवों तक पशु इलाज, टीकाकरण, आहार प्रबंधन और ट्रेनिंग जैसी सुविधाएं पहुंचाईं. बिचौलियों की पकड़ खत्म हो गई और किसानों को उनके दूध का सही दाम मिलने लगा. इस मॉडल से भारत के ग्रामीण इलाकों में स्थिर आर्थिक व्यवस्था बनी. महिलाओं को भी डेयरी के काम में बड़ी भूमिका मिली और कई परिवारों की आमदनी दोगुनी होने लगी. यह सब आनंद की उसी व्यवस्था का हिस्सा है, जिसकी आज दुनिया भर में मिसाल दी जाती है.

आनंद से जुड़े संस्थान जो आज भी कर रहे बड़ा काम

आनंद को दूध की दुनिया की राजधानी बनाने में सिर्फ अमूल ही नहीं, बल्कि कई संस्थानों का हाथ है. यहां स्थित NDDB (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड) पूरे देश में डेयरी विकास  कार्यक्रम चलाता है और किसानों को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है. इसी तरह IRMA (इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद) उन लोगों को प्रशिक्षण देता है जो ग्रामीण विकास और सहकारी प्रबंधन में काम करना चाहते हैं. इन संस्थानों ने भारत ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों को भी डेयरी सुधार का रास्ता दिखाया है.

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