DAP shortage in Rirsa: हरियाणा के सिरसा जिले में डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की किल्लत को लेकर संकट और गहरा गया है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने बुधवार को अचानक जांच के बाद दो दुकानों पर खाद की बिक्री पर रोक लगा दी. क्योंकि जांच के दौरान मंडी डबवाली की दो खाद दुकानों के स्टॉक रजिस्टर, गोदाम रिकॉर्ड और पीओएस डेटा में अनियमितताएं पाई गईं. इसके चलते दोनों दुकानों की खाद बिक्री तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दी गई और कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने सभी डीलरों को चेतावनी दी कि वे ‘टैगिंग’ (खाद के साथ अन्य उत्पादों को जबरन बेचना) जैसी गैरकानूनी गतिविधियों से बचें और सरकार की वितरण गाइडलाइन का सख्ती से पालन करें. वहीं, सिरसा जिले में डीएपी खाद की भारी किल्लत के बीच किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है. खेती का यह अहम समय होने के कारण किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रही है. सोमवार को कई खाद वितरण केंद्रों पर भारी भीड़ और हंगामे के हालात बन गए, जिनमें जनता भवन रोड स्थित PACS केंद्र भी शामिल था. यहां धक्का-मुक्की के बाद पुलिस को तैनात करना पड़ा.
किसानों की आर्थिक मुश्किलें और बढ़ गई हैं
एक नाराज किसान ने कहा कि हमें चार बोरी खाद चाहिए थीं, लेकिन सिर्फ दो ही दी गईं. कई किसानों ने भेदभाव और अव्यवस्था का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को बिना लाइन में लगे खाद मिल गई, जबकि वैध टोकन वाले किसान खाली हाथ लौटाए गए. दरअसल, मॉनसून की शुरुआत के साथ ही नरमा (कपास) की बुआई तेज हो रही है, जिससे डीएपी की मांग भी बढ़ रही है. सरकारी केंद्रों से खाद न मिलने पर किसान प्राइवेट डीलरों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां डीएपी महंगे दामों पर बेची जा रही है, जिससे कर्ज में डूबे किसानों की आर्थिक मुश्किलें और बढ़ गई हैं.
निजी बिक्री केंद्रों पर निगरानी मजबूत होगी
कृषि विभाग के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जांच अभियान जारी रहेगा और किसी भी गड़बड़ी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. एक अधिकारी ने कहा कि डीलर यह सुनिश्चित करें कि खाद का वितरण समय पर और पारदर्शी तरीके से हो. हम जमाखोरी या कालाबाजारी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे. वहीं दूसरी ओर, किसानों ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह तुरंत खाद की आपूर्ति बहाल करे और सहकारी व निजी बिक्री केंद्रों पर निगरानी और ज्यादा मजबूत की जाए.
जांच टीम में ये अधिकारी थे शामिल
बता दें कि इस विशेष जांच टीम का नेतृत्व संयुक्त निदेशक (एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग) डॉ. जगमिंदर नैन और उप निदेशक कृषि डॉ. सुखदेव कम्बोज ने किया. टीम में क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर, विशेषज्ञ और पौधा संरक्षण अधिकारी शामिल थे.