दिल्ली बना देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, जानिए कौन-कौन हैं टॉप 10 में शामिल

आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 11 Jul, 2025 | 04:19 PM

आपने अक्सर महसूस किया होगा कि दिल्ली की सर्द सुबहें धुंधली क्यों होती हैं, या गर्मियों में भी सांस लेना भारी क्यों लगता है? जवाब है प्रदूषण. और ये सिर्फ दिल्ली की कहानी नहीं है, बल्कि देशभर के सैकड़ों शहरों में लोगों को यही संकट झेलना पड़ रहा है. ताजा रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली अब भी देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है, और उससे भी आगे निकल चुका है असम का बर्नीहाट.

रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 293 निगरानी शहरों में से 239 शहरों में साल के 80 फीसदी से ज्यादा दिन हवा की गुणवत्ता खराब रही. यही नहीं, इनमें से 122 शहर ऐसे रहे जिन्होंने भारत के वार्षिक वायु गुणवत्ता मानक (40 µg/m³) को पार कर दिया. लेकिन जो बात और भी ज्यादा चिंता की है, वो यह कि सभी 239 शहरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सख्त मानक (5 µg/m³) को पार कर लिया है. यानी तकनीकी रूप से हर शहर वायु प्रदूषित की श्रेणी में आता है, भले ही वह भारतीय मानकों पर खरा उतरता दिखे.

बर्नीहाट बना सबसे प्रदूषित शहर, दिल्ली दूसरे नंबर पर

ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CREA) की नई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 की पहली छमाही में बर्नीहाट की औसत पीएम2.5 सांद्रता 133 µg/m³ (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) रही, जबकि दिल्ली में यह स्तर 87 µg/m³ तक पहुंच गया. बर्नीहाट में एक भी दिन हवा “अच्छी” श्रेणी में नहीं रही. दिल्ली ने 5 जून से पहले ही राष्ट्रीय मानक (40 µg/m³) और WHO के मानक (5 µg/m³) दोनों को पार कर लिया था.

टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहर

रिपोर्ट में देश के टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में कई और नाम भी शामिल हैं, जैसे हाजीपुर, गाजियाबाद, गुरुग्राम, सासाराम, पटना, टालचेर, राउरकेला और राजगीर. इन शहरों में अकेले बिहार के चार शहर शामिल हैं, जबकि ओडिशा के दो शहर भी इस सूची में हैं. यह आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण सिर्फ दिल्ली या उत्तर भारत की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है.

प्रदूषण के पीछे केवल गाड़ियां नहीं

आप सोचते होंगे कि दिल्ली में वायु प्रदूषण सिर्फ पराली और गाड़ियों से होता है, लेकिन CREA की रिपोर्ट कहती है कि मोटरगाड़ियां सिर्फ 17-28 फीसदी तक जिम्मेदार हैं. असली दोषी हैं:

  • सड़क और निर्माण की धूल (17-38 फीसदी)
  • घरेलू ईंधन और रसोई से उठता धुआं (8-10 फीसदी)
  • पराली और कृषि अपशिष्ट जलाना (4-7 फीसदी)
  • बिजली संयंत्र और उद्योग (22-30 फीसदी)

दिल्ली के पास मौजूद अधिकांश थर्मल पावर प्लांट्स में अभी भी आधुनिक FGD सिस्टम (फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन) नहीं लगे हैं, जो सल्फर जैसी हानिकारक गैसों को छानने के लिए जरूरी होते हैं.

क्या है ओवरशूट डे

रिपोर्ट में “ओवरशूट डे” की भी बात की गई है. ये वो दिन होता है जब कोई शहर इतना प्रदूषित हो जाता है कि साल के बाकी दिन चाहे हवा साफ भी हो, लेकिन वो शहर सालाना मानकों को नहीं छू सकता. 259 शहर पहले ही जून तक ओवरशूट डे पार कर चुके थे.

राष्ट्रीय मानकों की समीक्षा जरूरी

भारत का एनएएक्यूएस मानक (40 µg/m³) साल 2009 से अब तक नहीं बदला गया है, जबकि WHO का मानक (5 µg/m³) समय के साथ और सख्त हुआ है. इसलिए जरूरी है कि भारत भी अपने मानकों की नए सिरे से समीक्षा करे ताकि हालात को गंभीरता से लिया जा सके.

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Published: 11 Jul, 2025 | 04:17 PM

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