खेती में केमिकल्स इस्तेमाल से पर्यावरण को खतरा, इंसान और पशुओं पर भी हो रहा असर

बारिश के मौसम में या सिंचाई के समय इन केमिकल का इस्तेमाल करने पर ये पानी के साथ बहकर तालाब, नदी, नहर यहां तक कि भूजल तक पहुंच जाते हैं . जमीन के नीचे पहुंच कर ये पानी को दूषित करते हैं. आगे जाकर यही पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 25 May, 2025 | 08:30 PM

खेती से अच्छा उत्पादन पाने के लिए आज किसान अपनी फसलों पर तरह-तरह के केमिकल्स और पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल करते हैं. जो फसलों में जाकर उन्हें ज्यादा पैदावार देने में तो मदद करते हैं. लेकिन यह फायदा लंबे समय तक नहीं हो पाता है. इनके इस्तेमाल से भले ही किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता हो , फायदा होता हो लेकिन इनसे होने वाले फायदों से ज्यादा नुकसान होता है, जो तुरंत तो नहीं दिखता है, लेकिन दीर्घकालिक परिणाम काफी नुकसानदायक होते हैं. किसान इन केमिक्लिस का इस्तेमाल फसल, जमीन, पौधों, फल और सब्जियों पर करते हैं . लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इनके इस्तेमाल से होने वाले नुकसान लंबे समय तक पर्यावरण, इंसान और पशुओं के लिए हानिकारक हैं.

मिट्टी के पोषक तत्वों को करते हैं खराब

केमिकल पेस्टीसाइड्स ऐसे कीटनाशक होते हैं जिनका इस्तेमाल किसान फसलों को कीड़ों ,रोगों और खरपतवारों से बचाने के लिए करते हैं. किसान इन्हें स्प्रे या छिड़काव की मदद से खेतों में डालते हैं. धीरे-धीरे ये केमिकल्स मिट्टी में मिलकर मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को खराब करते हैं. फसलों के तने, पत्तियों और फलों आदि में इनके अवशेष रह जाते हैं.

खेत से लेकर घरों के पानी को करते हैं दूषित

बारिश के मौसम में या सिंचाई के समय इन केमिकल का इस्तेमाल करने पर ये पानी के साथ बहकर तालाब, नदी, नहर यहां तक कि भूजल तक पहुंच जाते हैं . जमीन के नीचे पहुंच कर ये पानी को दूषित करते हैं. आगे जाकर यही पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है. रोज बनने वाले खाने में इसका इ्स्तेमाल होता है और इस खाने के जरिए यही केमिकल्स इसान के शरीर में पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. इसके साथ ही नदी , नहरों में बहने वाले इस दूषित पानी को पीकर पशुओं को भी बहुत नुकसान पहुंचता है.

इन बीमारियों का होता है खतरा

इन केमिकल्स के कारण पर्यावरण तो दूषित होता ही है साथ ही इंसानी शरीर में इनके जाने से कई तरह की बीमारियां होती हैं . इनसे लिवक, किडनी और शररी के पाचन क्रिया पर बुरा असर पड़ता है. वहीं इनके कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी होती है, इसके साथ ही ये बच्चों के मानसिक विकास पर भी असर डालते हैं.

कैसे करें इन केमिकल्स से बचाव

जिस तरह हर समस्या का समाधान होता है वैसे ही इन केमिकल पेस्टिसाइड्स से होने वाले नुकासान से भी बचा जा सकता है. इसके समाधान के लिए किसानों को जैविक खेती की तरफ रुख करना चाहिए. अगर कीटनाशकों का इस्तेमाल जरूरी है तो संतुलित मात्रा में इनका इस्तेमाल करें. इसके साथ ही फसल कटाई के समय किसान इस बात का ध्यान रखें कि फसल कटाई से पहले वे फसल की अच्छे से धुलाई कर लें और छिलका उतार लें. ताकि केमिकल्स के जो अवशेष फसलों पर रह गए हों वो नष्ट हो जाएं.

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