20 बोरी से ज्यादा खाद लेने पर होगी जांच, 3 दिन में पेश होगी रिपोर्ट.. इस वजह से लिया गया फैसला

आंकड़ों के अनुसार, इस साल 1 अप्रैल से 11 जुलाई तक राज्य में 6,63,714 मीट्रिक टन यूरिया बिक चुका है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 5,39,542 मीट्रिक टन था.

नोएडा | Updated On: 15 Jul, 2025 | 02:15 PM

fertilizer Sale: हरियाणा में खाद की अधिक खपत को देखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. अब 20 या उससे ज्यादा बोरी खाद खरीदने वाले किसानों की जमीनी स्तर पर जांच होगी. विभाग के निदेशक ने राज्य के सभी कृषि उपनिदेशकों (DDA) को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं. इसके साथ ही जांच का काम भी शुरू हो गया है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि हमें कहा गया है कि 20 बैग से ज्यादा खाद खरीदने वालों की जांच जरूरी है और रिपोर्ट भी जमा करनी होगी.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस खरीफ सीजन में यूरिया की बिक्री में अचानक तेज बढ़ोतरी देखी गई है. इसके बाद सरकार ने यह फैसला किया. वहीं, विभाग की चिट्ठी में लिखा गया है कि यूरिया की असामान्य बिक्री की जांच जरूरी है, ताकि इसके गलत इस्तेमाल और अवैध बिक्री को रोका जा सके.

राज्य में 6,63,714 मीट्रिक टन यूरिया की हुई बिक्री

आंकड़ों के अनुसार, इस साल 1 अप्रैल से 11 जुलाई तक राज्य में 6,63,714 मीट्रिक टन यूरिया बिक चुका है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 5,39,542 मीट्रिक टन था. इस तेज बढ़ोतरी से यूरिया का स्टॉक घट गया है और सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ गया है. अब विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि खाद सही किसानों तक पहुंचे और इसका गलत इस्तेमाल न हो.

जांच करने के लिए बनाई गई 3 कैटेगरी

खाद की कालाबाजारी और गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए हरियाणा कृषि विभाग ने अब IFMS (इंटीग्रेटेड फर्टिलाइजर मैनेजमेंट सिस्टम) पोर्टल के डेटा के आधार पर 20 से ज्यादा यूरिया बैग खरीदने वाले किसानों की पहचान करना अनिवार्य कर दिया है. विभाग की चिट्ठी के अनुसार, जून और जुलाई में 20 से ज्यादा यूरिया बैग खरीदने वाले किसानों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. कैटेगरी 1 में 40-50 बैग लेने वाले किसानों को रखा गया है, जबकि कैटेगरी 2 में 30-40 बैग और कैटेगरी 3 में 20-30 बैग खाद लेने वाले किसान को शामिल किया गया है.

कैटेगरी 1 किसानों की तुरंत होगी जांच

मैदानी कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि कैटेगरी 1 के किसानों की प्राथमिकता के आधार पर तुरंत जांच की जाए, उसके बाद कैटेगरी 2 और 3 की जांच होनी चाहिए. एक अधिकारी ने कहा कि अब से अगर कोई किसान इन श्रेणियों में आता है, तो उसकी खरीद की तीन दिन के अंदर जमीनी जांच अनिवार्य होगी और जांच रिपोर्ट तुरंत मुख्यालय भेजनी होगी. इस सख्ती का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि यूरिया सही किसानों तक पहुंचे और इसका दुरुपयोग या कालाबाजारी न हो.

1,53,995 मीट्रिक टन ज्यादा यूरिया का इस्तेमाल

रबी 2024-25 सीजन में हरियाणा में यूरिया की खपत में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई. इस बार पिछले साल के मुकाबले 1,53,995 मीट्रिक टन ज्यादा यूरिया का इस्तेमाल हुआ. यमुनानगर और जींद दो ऐसे जिले रहे जहां सबसे अधिक खपत दर्ज की गई. आंकड़ों के अनुसार, इस बार यमुनानगर में 19,373 मीट्रिक टन ज्यादा यूरिया इस्तेमाल हुआ है. वहीं, जींद में 16,913 मीट्रिक टन की अधिक खपत देखी गई.

फ्लाइंग स्क्वॉड टीम का गठन

इस बढ़ती खपत और संभावित कालाबाजारी को रोकने के लिए जिलों में कृषि और पुलिस विभाग के अधिकारियों की फ्लाइंग स्क्वॉड बनाई गई हैं. साथ ही, राज्य की सीमाओं पर चेकपॉइंट्स भी लगाए गए हैं ताकि अवैध तरीके से खाद की ढुलाई रोकी जा सके.

खाद की कालाबाजारी पर कार्रवाई

बता दें कि हरियाणा में सब्सिडी वाले यूरिया की जबरदस्त कालाबाजारी हो रही है. बीते दिनों यमुनानगर जिले के ताजकपुर गांव में कृषि विभाग को एक अवैध गोदाम में बड़ी मात्रा में सब्सिडी वाला कृषि-ग्रेड यूरिया जमा होने की सूचना मिली थी. इसके बाद छापेमारी में 2,461 बोरी कृषि-ग्रेड यूरिया बरामद हुई थी, जिसे जब्त कर गोदाम को सील कर दिया गया है. वहीं, इस मामले में कृषि विभाग के विषय विशेषज्ञ हरीश पांडे की शिकायत पर सदर थाना यमुनानगर में एफआईआर दर्ज की गई थी. एसएचओ कृष्ण कुमार ने कहा था कि गोदाम मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.

गौरतलब है कि सब्सिडी वाला कृषि-ग्रेड यूरिया 266.50 रुपये प्रति 45 किलो बैग की दर से मिलता है, जबकि टेक्निकल-ग्रेड यूरिया की कीमत 2,200 से 2,400 रुपये प्रति 50 किलो बैग होती है. कीमत में बड़ा अंतर होने के कारण कुछ लोग सस्ती दर वाला यूरिया गैर-कृषि उद्देश्यों में इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कानूनन अपराध है.

हरियाणा में सबसे अधिक नकली खाद की बिक्री

लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा 52 FIR नकली और घटिया खाद बेचने से जुड़े मामलों में दर्ज हुई हैं. इसके बाद मध्य प्रदेश 36 FIR के साथ दूसरे और उत्तर प्रदेश 34 FIR के साथ तीसरे स्थान है. फर्टिलाइज़र कंट्रोल ऑर्डर (FCO)-1985 के तहत, जो खाद तय मानकों पर खरी नहीं उतरती, उसे कृषि उपयोग के लिए बेचना गैरकानूनी है. वहीं, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत राज्य सरकारों को नकली खाद बेचने या बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है.

सब्सिडी पर मिलती है खाद

सरकार किसानों को सस्ती दरों पर खाद उपलब्ध कराने के लिए उत्पादकों और आयातकों को सब्सिडी देती है. अगर किसी कंपनी का खाद घटिया पाया जाता है, तो उसकी लंबित सब्सिडी से पैसा वसूला जाता है.

Published: 15 Jul, 2025 | 02:06 PM