घर में आलू उगाने की सोच रहे हैं? जानिए इसे बोने का सही समय और तरीका

जब बात आलू उगाने की हो, तो मिट्टी की तैयारी सबसे अहम कदम होता है. आलू को ऐसी मिट्टी चाहिए जो न सिर्फ भुरभुरी और खरपतवार-मुक्त हो, बल्कि उसमें पानी का जमाव भी न हो.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 15 Jul, 2025 | 12:59 PM

भारत के हर घर में पसंद किए जाने वाले आलू न सिर्फ खाने में लाजवाब होते हैं, बल्कि इन्हें उगाना भी बहुत आसान है, बस समय और तरीका सही होना चाहिए. अक्सर बागवानी करने वाले लोग ये सवाल पूछते हैं कि आलू कब बोना चाहिए? अगर आप भी घर के गार्डन या खेत में आलू की फसल लेना चाहते हैं, तो चलिए देते हैं इस सवाल का जवाब.

आलू बोने का सही समय क्या है?

आलू एक ठंडी मौसम की फसल है, जिसे ठंड के जाते ही बोया जाता है. भारत में इसे बोने का सबसे अच्छा समय फरवरी के अंत से लेकर मार्च-अप्रैल तक का होता है. इस समय तक मिट्टी थोड़ी गर्म हो जाती है और पाले (frost) का खतरा भी कम हो जाता है, जिससे आलू जल्दी अंकुरित होता है.

याद रखें अगर आप बहुत जल्दी, ठंडी मिट्टी में आलू बो देंगे तो वह अंकुरित होने में समय लेगा और उसकी बढ़त कमजोर रह सकती है.

बोआई से पहले किस्म का चुनाव जरूरी है

आलू की खेती की सफलता सिर्फ सही समय ही नहीं, बल्कि चुनी गई आलू की किस्म पर भी निर्भर करती है. अगेती किस्में, जैसे कि Yukon Gold या कुफरी अशोक, कम समय में तैयार हो जाती हैं और इन्हें आप मार्च की शुरुआत में ही बो सकते हैं. वहीं दूसरी ओर, मुख्य फसल वाली किस्में, जैसे कुफरी ज्योति या कुफरी बहार, ज्यादा समय लेती हैं और इन्हें मार्च के मध्य से अप्रैल के बीच बोना बेहतर रहता है. इसलिए आप पहले यह तय करें कि आप किस तरह की फसल लेना चाहते हैं, जल्दी तैयार होने वाली या देर से पकने वाली लेकिन अधिक उत्पादन देने वाली.

अच्छी मिट्टी, बेहतर आलू की नींव

जब बात आलू उगाने की हो, तो मिट्टी की तैयारी सबसे अहम कदम होता है. आलू को ऐसी मिट्टी चाहिए जो न सिर्फ भुरभुरी (loose) और खरपतवार-मुक्त हो, बल्कि उसमें पानी का जमाव भी न हो. अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी आलू के लिए वरदान होती है.

मिट्टी में अगर आप कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी हुई खाद मिला दें, तो यह पोषक तत्वों से भरपूर हो जाएगी. साथ ही pH स्तर 5.5 से 6.5 के बीच रखें, ताकि कंदों का विकास सही तरीके से हो सके.

आलू बोने का तरीका

जब आप आलू के बीज बोने लगें, तो यह जरूरी है कि बीज आलू की ‘आंखें’ ऊपर की तरफ हों. यही आंखें आगे चलकर अंकुर बनती हैं. आलुओं को आप कतारों में लगाएं और प्रत्येक के बीच लगभग 20–25 सेंटीमीटर का फासला रखें. फिर इन्हें 4–5 इंच मिट्टी से ढंक दें.

जब पौधे बढ़ने लगें, तो उनके चारों ओर मिट्टी चढ़ाते रहें. इसे माउंडिंग या अर्थिंग कहते हैं. इसका मकसद यह होता है कि आलू की गांठें सूरज की रोशनी में आकर हरी और जहरीली न हो जाएं.

गर्मियों में भी उगते हैं आलू?

ज्यादातर भारतीय क्षेत्रों में गर्मियों में आलू बोना मुश्किल होता है क्योंकि ज्यादा गर्मी आलू की फसल को नुकसान पहुंचाती है. लेकिन अगर आप किसी ठंडी जलवायु या पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं, तो जुलाई-अगस्त में भी आलू बोने की संभावना होती है. बस यह ध्यान रखें कि जिस मौसम में आप आलू उगा रहे हैं, वहां की मिट्टी बहुत अधिक गर्म या सूखी न हो.

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