आलू की बैंगनी किस्म से होगी रिकॉर्डतोड़ पैदावार, जानिए कैसे करें इसकी खेती?

इस आलू में भरपूर मात्रा में एंथोसायनिन पाया जाता है, जो स्वास्थ्य को बेहतरीन बनाए रखने में मदद करता है.

नोएडा | Published: 9 Apr, 2025 | 08:00 AM

आलू भारत की प्रमुख कृषि फसलों में से एक है. यह देश के लगभग हर हिस्से में उगाया जाता है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है. वहीं, हाल के सालों में किसान नई तकनीकों और आधुनिक कृषि विधियों का इस्तेमाल करके आलू की खेती से मुनाफा कमा रहे हैं.

ऐसी ही एक खोज आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने की है. भारतीय जलवायु को ध्यान में रखते हुए आलू की नई किस्म ‘कुफरी जामुनिया’ को विकसित किया गया है. गुणों से भरपूर यह आलू देखने में बैंगनी रंग का है और सेहत के लिए बेहद लाभदायक है. चलिए जानते हैं कि पारंपरिक खेती से अलग ‘कुफरी जामुनिया’ की फसल किसानों के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकती है.

बैंगनी आलू की विशेषताएं

यह आलू सिर्फ स्वाद में ही नहीं, बल्कि सेहत के लिहाज से भी खास है. यह किस्म बायोफोर्टिफाइड है, मतलब जिसमें पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है. इस आलू में भरपूर मात्रा में एंथोसायनिन पाया जाता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है और स्वास्थ्य को बेहतरीन बनाए रखने में मदद करता है. साथ ही, यह विटामिन और खनिजों से भरपूर है. यही वजह है कि बाजार में सेहत का ध्यान रखने वाले लोगों के बीच इसकी मांग बढ़ती जा रही है.

कैसे करें बैंगनी आलू की खेती

भूमि की तैयारी: इस आलू के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है. साथ ही, खेत तैयार करते समय जल निकासी का भी ध्यान रखें.

बीज का चयन: इसकी खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बैंगनी आलू के बीजों का चयन करें.

रोपण का समय: बैंगनी आलू की खेती के लिए आमतौर पर अक्टूबर से दिसंबर के बीच का समय सबसे अच्छा माना जाता है.

सिंचाई और खाद: जैविक खाद और नियंत्रित सिंचाई से इसकी पैदावार और गुणवत्ता में वृद्धि होती है.

कटाई और भंडारण: यह आलू लगभग 90-120 दिनों में तैयार हो जाता है और सही स्टोरेज तकनीकों का उपयोग करके इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

किन इलाकों में हो रही है इसकी खेती?

भारत में अभी इस आलू की खेती मुख्य रूप से उत्तर, मध्य और पूर्वी मैदानी इलाकों में की जा रही है. इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी इसे बेहद अनुकूल बनाती है, जिससे किसानों को अच्छी उपज और बेहतर मुनाफा मिलता है. प्रति हेक्टेयर इससे औसतन 320-350 क्विंटल उपज मिलती है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान

बैंगनी आलू की खेती अभी भारत के सीमित क्षेत्रों में ही की जा रही है, लेकिन बाजार में इसकी बढ़ती मांग के कारण अन्य किसान और कृषि वैज्ञानिक अब इस फसल को बड़े पैमाने पर अपनाने के तरीकों पर काम कर रहे हैं. ऐसे में किसानों के पास कुछ नया और फायदेमंद करने का सुनहरा मौका है.

 

Published: 9 Apr, 2025 | 08:00 AM