अब समोसे-जलेबी पर भी लगेगी सिगरेट जैसी चेतावनी, जानिए क्या है सच्चाई

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम समय की मांग है. जिस तरह सिगरेट और तंबाकू के लिए चेतावनियां जरूरी हैं, उसी तरह तेल-घी और चीनी से भरे स्नैक्स को लेकर भी लोगों को जागरूक करना जरूरी है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 16 Jul, 2025 | 12:13 PM

भारत में समोसे और जलेबी सिर्फ नाश्ता नहीं, एक भावना हैं. चाहे त्योहार हो या दफ्तर की चाय ब्रेक, इन स्वादिष्ट व्यंजनों की मौजूदगी हर दिल को सुकून देती है. लेकिन हाल ही में एक खबर ने इन पारंपरिक स्वादों को लेकर चिंता की लहर फैला दी, कहा गया कि सरकार अब समोसे-जलेबी पर भी सिगरेट जैसी हेल्थ चेतावनी लगाने जा रही है. कई मीडिया रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्ट्स ने दावा किया कि मोटापे और स्वास्थ्य खतरों के चलते इन खाद्य पदार्थों पर अब चेतावनी बोर्ड लगेंगे. लेकिन क्या यह सच है? आइए जानते हैं असली हकीकत.

क्या कहा गया मीडिया रिपोर्ट्स में?

कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि अब सभी सरकारी कैफेटेरिया, कैंटीन और संस्थानों में यदि समोसे-जलेबी जैसे तैलीय या मीठे स्नैक्स परोसे जाते हैं, तो वहां “चीनी और तेल की मात्रा” दर्शाने वाले पोस्टर लगाना अनिवार्य होगा.

पोस्टरों में लिखा होगा: “इस नाश्ते में छिपी है इतनी चीनी और इतना तेल.” जैसे सिगरेट पर चेतावनी होती है, वैसे ही ये बोर्ड भी रंग-बिरंगे होंगे. यह नियम एम्स नागपुर जैसे संस्थानों से शुरू हो सकता है.

इसके पीछे तर्क क्या दिया गया?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में मोटापा एक ‘साइलेंट महामारी’ बन चुका है. अनुमान है कि 2050 तक देश में 44 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं. ऐसे में सरकार की यह कथित पहल लोगों को सचेत करने और खाने की आदतों में बदलाव लाने के लिए जरूरी बताई जा रही थी.

PIB ने खबर को बताया झूठा

सरकार की आधिकारिक फैक्ट-चेक इकाई प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई सलाह या आदेश स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी नहीं किया गया है. PIB ने अपने एक्स (ट्विटर) पोस्ट में लिखा: “कुछ मीडिया रिपोर्टों का दावा है कि @MoHFW_INDIA ने समोसे, जलेबी और लड्डू जैसे खाद्य उत्पादों पर स्वास्थ्य चेतावनी जारी की है. यह भ्रामक है. मंत्रालय की सलाह में ऐसा कुछ नहीं कहा गया.”

यानी, सरकार ने न तो विक्रेताओं को चेतावनी लेबल लगाने का आदेश दिया है, और न ही समोसे-जलेबी के खिलाफ कोई विशेष निर्देश जारी किया है.

तो क्या ये सारी खबरें गलत थीं?

कुछ संस्थानों में स्थानीय स्तर पर स्वस्थ खाने की आदतों को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चल सकते हैं, लेकिन इसे पूरे देश के लिए सरकारी आदेश बताना गलत और भ्रामक है.

माना जा रहा है कि एम्स नागपुर जैसे कुछ संस्थानों ने स्वेच्छा से ऐसे बोर्ड लगाए हैं, ताकि लोग खाने में तेल-चीनी के प्रभाव को समझें. लेकिन यह स्वास्थ्य मंत्रालय का निर्देश नहीं है.

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Published: 15 Jul, 2025 | 12:20 PM

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