करेले के फल क्यों पड़ जाते हैं पीले? जानिए कारण और आसान उपाय

करेला बहुत संवेदनशील पौधा होता है और तेज गर्मी, अत्यधिक धूप, सूखा या पानी की कमी से इसका पौधा कमजोर हो सकता है, जिससे फल पीले पड़ने लगते हैं.

नई दिल्ली | Published: 12 May, 2025 | 02:16 PM

करेले की भारतीय रसोई में इसकी अलग ही जगह है. सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि सेहत के लिहाज से भी ये एक बेहतरीन सब्जी मानी जाती है. लेकिन जो लोग अपने घर या खेत में करेला उगाते हैं, उन्हें कभी-कभी एक आम समस्या का सामना करना पड़ता है, जब करेले के फल समय से पहले पीले पड़ने लगते हैं.

अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो घबराइए नहीं. तो चलिए जानते हैं करेला पीला क्यों होता है और आप इसे कैसे रोक सकते हैं.

1. ज्यादा पकने से फल का पीला होना

करेले के फल पीले पड़ने की सबसे सामान्य वजह होती है अत्यधिक पकना. अगर करेला बहुत देर तक बेल पर लटका रह जाए तो वह धीरे-धीरे हरा रंग खोकर पीला होने लगता है और उसका स्वाद भी कड़वा कम और फीका ज्यादा हो जाता है.

समाधान- जब करेला हल्का गाढ़ा हरा और थोड़ा कड़ा महसूस हो, तभी तोड़ लेना बेहतर रहता है. ज्यादा दिन बेल पर छोड़ देने से वह ज्यादा पक जाएगा और उसका उपयोग नहीं हो पाएगा.

2. पोषक तत्वों की कमी

करेले के पौधे को बढ़ने और अच्छे फल देने के लिए नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों की जरूरत होती है. अगर मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी होगी, तो ना सिर्फ पत्तियां पीली पड़ेंगी, बल्कि फल भी रंग खोने लगेंगे.

समाधान- अपने पौधे को संतुलित जैविक खाद या गोबर की सड़ी खाद दें. समय-समय पर नाइट्रोजन युक्त खाद डालते रहें ताकि पौधे को पूरी ताकत मिलती रहे.

3. मौसम और पर्यावरण का असर

करेला बहुत संवेदनशील पौधा होता है और तेज गर्मी, अत्यधिक धूप, सूखा या पानी की कमी से इसका पौधा कमजोर हो सकता है, जिससे फल पीले पड़ने लगते हैं.

समाधान- बहुत गर्म मौसम में पौधे को छांव देने की कोशिश करें. इसके साथ ही नियमित और पर्याप्त सिंचाई करें, लेकिन ज्यादा पानी भी ना दें. बस ध्यान रहे कि मिट्टी की जलनिकासी (drainage) अच्छी होनी चाहिए ताकि जड़ें खराब न हों.

4. कीट और बीमारियों का हमला

अगर पौधे पर कीट (जैसे चूसक कीड़े, मक्खियां, या फंगस) का हमला होता है, तो पौधा ठीक से पोषण नहीं ले पाता और फल पीले पड़ने लगते हैं.

समाधान- कीटों को भगाने के लिए नीम का तेल या देसी जैविक कीटनाशक छिड़कें. साथ ही पौधों के आस-पास सफाई रखें और बेल को खुला-खुला रखें ताकि हवा चलती रहे. संक्रमित पत्तियां या फल हटा दें ताकि बीमारी ना फैले.