केवल तीखापन ही नहीं अचार के लिए भी मशहूर है बनारस की भरवा मिर्च, पूरे देश में रहती है डिमांड

बनारसी लाल भरवा मिर्च उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में उगाई जाने वाली सबसे कीमती फसलों में से एक है. इसके फल लंबे होते हैं और इनमें तीखापन काफी ज्यादा होता है. इसका इस्तेमाल तरह-तरह की सब्जियों, चटनियों, मसालों, अचार, सॉस और कंडिमेंट्स में किया जाता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 19 Aug, 2025 | 07:50 PM

जब भी अचार की बात होती है, तो लोगों के जेहन में सबसे पहले आम का नाम उभर कर सामने आता है. अधिकांश लोगों को लगता है कि सबसे अधिक लजीज और स्वादिष्ट आम का ही अचार होता है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. मिर्च का अचार भी कोई कम स्वादिष्ट नहीं होता है. खास कर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मिर्च के अचार का कुछ ज्यादा ही महत्व है. लेकिन बनारसी भरवा मिर्च की बात ही अलग है. इसका टेस्ट इतना बेहतर है कि इसे भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) भी मिल गया है. ऐसे में इसकी खेती करने वाले किसानों को अब ज्यादा कमाई होने की उम्मीद है. तो आइए आज जानते हैं बनारसी भरवा मिर्च के बारे में.

इसी साल अप्रैल महीने में भरवा मिर्च को जीआई टैग मिला है. प्रगतिशील अराजीलाईन फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा बनारसी लाल भरवा मिर्च के लिए भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया गया था. यह आवेदन धारा 13(1) के तहत भौगोलिक संकेतक वस्तु (पंजीकरण एवं संरक्षण) अधिनियम, 1999 के अनुसार स्वीकृत किया गया था और इसे एप्लिकेशन नंबर 823 के तहत कक्षा 31 (कृषि उत्पाद) में दर्ज किया गया था.

विटामिन A और C का अच्छा स्रोत है यह मिर्च

बनारसी लाल भरवा मिर्च उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में उगाई जाने वाली सबसे कीमती फसलों में से एक है. इसके फल लंबे होते हैं और इनमें तीखापन काफी ज्यादा होता है. इसका इस्तेमाल तरह-तरह की सब्जियों, चटनियों, मसालों, अचार, सॉस और कंडिमेंट्स में किया जाता है. यह मिर्च विटामिन A और C का अच्छा स्रोत है. यह किस्म बनारस और आसपास के क्षेत्रों की जलवायु के अनुसार अच्छी उपज और गुणवत्ता देती है. इसमें तीखापन लाने वाला तत्व कैप्सेसिन (Capsaicin) भरपूर मात्रा में होता है. यह थोड़ी मात्रा में प्रोटीन और फाइबर भी प्रदान करती है.

एंटीऑक्सीडेंट कैरोटीनॉयड्स का भी स्रोत

इसमें कई प्रकार के विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट कैरोटीनॉयड्स पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद माने जाते हैं. यह मिर्च स्वाद, तीखापन और सेहत के लिहाज से बहुत खास मानी जाती है. भरवा लाल मिर्च का अचार सबसे लोकप्रिय और पारंपरिक अचारों में से एक है. इसे बनारसी लाल मिर्च का अचार के नाम से खास पहचान मिली है. सर्दियों में जब लाल मिर्च की बेहतरीन किस्म बाजार में आती है, तब यह अचार बनाया जाता है. इसमें तीखा और खट्टा मसाला तैयार किया जाता है. फिर मिर्चों को या तो लम्बाई में चीरा लगाकर या ऊपर से काटकर मसाले से भरा जाता है. यह अचार स्वाद में तीखा, चटपटा और लंबे समय तक टिकाऊ होता है.

बड़े-बड़े शहरों में होती है सप्लाई

लाल भरवा मिर्च को लाल सोना‘ भी कहा जाता है. यह मिर्च देश के बड़े-बड़े शहरों में सप्लाई की जाती है और किसानों के लिए आय का मुख्य स्रोत है. पहले यहां गन्ने की खेती होती थी, लेकिन उचित कीमत न मिलने की वजह से अब किसान मुख्य रूप से लाल मिर्च की खेती करने लगे हैं. इस साल मिर्च का उत्पादन पिछले साल से अधिक होने की उम्मीद है. बनारसी लाल भरवा मिर्च पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध बागवानी उत्पाद है. इस मिर्च का जिक्र गजेटियर, सरकारी दस्तावेजों और शोध पत्रों में भी किया गया है. यह मिर्च विशेष रूप से वाराणसी मंडल और आजमगढ़ मंडल के कुछ क्षेत्रों में ही उगाई जाती है.

इस तरह करें भरवा मिर्च की खेती

अगर आप इस मिर्च की खेती करना चाहते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 25 टन गोबर की खाद और NPK 30:60:30 किलो का इस्तेमाल करें. वहीं, मिर्च की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पोटैशियम सल्फेट का प्रयोग करें. इससे स्वाद और रंग बेहतर होता है. अगर आप चाहें, तो रोपाई के बाद 30 किलो नाइट्रोजन को तीन बराबर हिस्सों में 30, 60 और 90 दिन बाद दे सकते हैं. रोपाई करने के 75 दिन बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है. पहली दो तुड़ाइयों में हरी मिर्च मिलती है, जबकि बाद की तुड़ाइयों में लाल पकी मिर्च मिलती है. अगर पैदावार की बात करें, तो देसी किस्म से सूखी मिर्च की 2-3 टन प्रति हेक्टेयर और हरी मिर्च की 10-15 टन प्रति हेक्टेयर उपज मिलेगी. जबकि, हाइब्रिड किस्में की बुवाई करने पर 25 टन प्रति हेक्टेयर हरी मिर्च का उत्पादन होगा.

क्या होता है जीआई टैग

इसी साल 11 अप्रैल को भरवा मिर्च को भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा दिया गया है. ऐसे जीआई टैग का पूरा नाम Geographical Indication यानी भौगोलिक संकेत है. यह एक तरह का प्रमाणपत्र होता है जो यह बताता है कि कोई उत्पाद किसी खास क्षेत्र या भौगोलिक स्थान से जुड़ा हुआ है और उसकी विशिष्ट गुणवत्ता, पहचान या प्रतिष्ठा उस क्षेत्र की वजह से है.

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Published: 19 Aug, 2025 | 07:37 PM

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