पराली जलाने से मुक्ति देगी ये मशीन, किसानों को भूसा मिलेगा-कमाई भी होगी

स्ट्रॉ रीपर मशीन से अब खेत में डंठल नहीं जलेंगे, बल्कि भूसा भी मिलेगा. यह मशीन कम डीजल में ज्यादा काम करने में सक्षम है. इससे किसानों समय की बचत के साथ- साथ खर्च की बचत होगी.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 21 Apr, 2025 | 03:22 PM

खेती-किसानी में समय और संसाधनों की बचत करने वाली तकनीकें तेजी से सामने आ रही हैं. ऐसी ही एक तकनीक है स्ट्रॉ रीपर मशीन (Straw Reaper Machine), जो गेहूं की कटाई के बाद खेत में बचे डंठलों को भूसे में बदल देती है. पहले जब गेहूं की कटाई हाथ से या हार्वेस्टर जैसी बड़ी मशीनों से होती थी तो खेत में डंठल तो बचते ही थे, साथ ही कुछ गेहूं के दाने भी मिट्टी में गिरकर रह जाते थे. जब किसान इन डंठलों को जलाते थे तो गेहूं के ये बचे हुए दाने भी राख में तब्दील हो जाते थे. अब इस समस्या का समाधान लेकर आई है स्ट्रा रीपर मशीन.

स्ट्रॉ रीपर मशीन ट्रैक्टर से जुड़ती है और खेत में बचे डंठलों को काटकर भूसे के रूप में इकट्ठा करती है. साथ ही, मिट्टी में गिरे गेहूं के दानों को भी अलग करके सुरक्षित कर लेती है. यानी खेत साफ भी हो जाता है और किसान को भूसा भी मिल जाता है. इसके साथ ही गेहूं के बचे हुए दाने भी किसानों के लिए इकट्ठा करना आसान हो जाता है.

महिंद्रा समेत कई कंपनियां बेच रहीं मशीन

भारत में स्ट्रॉ रीपर मशीन की कीमत आमतौर पर लगभग 3 से 3.5 लाख रुपये के बीच होती है. यह मशीन करतार, मलकित, स्वराज, महिंद्रा और जगजीत जैसे कई भरोसेमंद ब्रांडों में मिलती है. वहीं किसान इसे ट्रैक्टर जंक्शन जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आसानी से खरीद सकते हैं, जहां अलग-अलग मॉडल और फीचर्स के साथ अपनी जरूरत के मुताबिक विकल्प चुनने की सुविधा भी मिलती है.

ऑटोमिटिक चलती है स्ट्रॉ रीपर मशीन

स्ट्रॉ रीपर मशीन के लोकप्रिय होने का कारण यह है कि इसमें मजबूत बैरिंग और पट्टे लगे हैं, जो इसे लंबे समय तक टिकाऊ बनाते हैं. इतना ही नहीं इसे 50 हॉर्सपावर से ऊपर के ट्रैक्टर से आसानी से चलाया जा सकता है. इसके अलावा यह मशीन पूरी तरह से स्वचालित है और इसे ऑपरेट करना भी आसान है.

कुछ घंटों में बना देती है 25 ट्रॉली भूसा

स्ट्रॉ रीपर मशीन की सबसे बड़ी खासियत इसकी उत्पादन क्षमता है. यह मशीन एक दिन में लगभग 20 से 25 ट्रॉली भूसा तैयार करने में सक्षम होती है. खास बात यह है कि एक ट्रॉली भूसा तैयार करने में यह लगभग 4 से 5 लीटर डीजल की खपत करती है. यानी कम ईंधन में ज्यादा काम. इससे किसानों को ना सिर्फ समय की बचत होती है, बल्कि ईंधन पर होने वाला खर्च भी काफी कम हो जाता है.

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Published: 21 Apr, 2025 | 03:19 PM

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