काजू की खेती अब सिर्फ समुद्री तटीय इलाकों तक सीमित नहीं रही, बल्कि देश के कई हिस्सों में किसान इसे नकदी फसल के तौर पर अपना रहे हैं. इसकी मांग देश-विदेश में लगातार बनी रहती है. यही वजह है कि आज छोटे और मध्यम किसान भी काजू की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत काजू अनुसंधान निदेशालय पुत्तूर दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक के कृषि वैज्ञानीकों ने काजू की नई हाईब्रिड किस्म नेत्रा गंगा (H-130) को विकसित किया है. यह किस्म कम समय में बेहतर गुणवत्ता के साथ ज्यादा उत्पादन देने के चलते चर्चा में है. इसकी खेती करने वाले किसान समय पर फसल बेचकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.
12-13 ग्राम वजनी हैं काजू के दाने
यह नई किस्म पारंपरिक किस्मों की तुलना में कई मायनों में बेहतर है. नेत्रा गंगा काजू के दाने लाभग 12-13 ग्राम बड़े और भारी होते हैं, जिस कारण बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है. इस काजू की सबसे अच्छी बात यह है कि यह एक उच्च उपज देने वाली किस्म है, जिसमें क्लस्टर बेयरिंग हबिट पाई जाती है यानी एक साथ कई काजू फल सकते है. एक पैनिकल पर 6 से 8 दाने आने की संभावना होती है, जो इसे बाकी किस्मों से खास बनाता है. इसके साथ ही बता दें की पैनिकल यानी एक पौधा जिसमें जिसमें मुख्य तने से प्रत्येक शाखा में एक या एक से अधिक फूल होते हैं.
शेलिंग वैल्यू 29.5 प्रतिशत
इस किस्म नेत्रा गंगा की शेलिंग वैल्यू 29.5 प्रतिशत है, जो कि एक अच्छा संकेत माना जाता है. शेलिंग वैल्यू उस अनुपात को दर्शाती है, जिसमें काजू फल का उपयोगी भाग (दाना) प्राप्त होता है. यानी किसान को कम वेस्टिज में अधिक उपज मिलती है. वहीं यह जल्दी फूलने वाली किस्म है. जिसका मतलब है कि यह कम समय में तैयार हो जाती है जिससे किसान अन्य फसलों की खेती भी समय पर कर सकते हैं. इसके अलावा इस किस्म के दाने आकार में भी एक समान होते हैं, जो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और निर्यात के लिए बेस्ट माने जाते हैं.
बारिश और हाई डेंसिटी के लिए बेस्ट
कई बार किसानों को सिंचाई की कमी के कारण समस्याएं होती हैं. लेकिन नेत्रा गंगा किस्म को रेनफेड (बारिश आधारित) क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माने जाने के साथ हाई डेंसिटी प्लांटिंग में भी लगाया जा सकता है, जिससे सीमित जगह में ज्यादा पौधे लगा कर उत्पादन ज्यादा किया जा सकता है.
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