देश में खेती को आधुनिक और लाभकारी बनाने के लिए वैज्ञानिक लगातार फसलों की नई-नई किस्में विकसित कर रहे हैं. इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक खास ओपन पोलिनेटेड किस्म पुसा शक्ति विकसित की है, जो किसानों के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित हो रही है. आमतौर पर गर्मियों में टमाटर की फसल में किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता हैं. लेकिन यह किस्म गर्मी में भी टिकाऊ रहती है और किसानों को अच्छी उपज देती है, जिससे अच्छा भाव मिलना भी आसान हो जाता है.
अधिक तापमान झेलने में सक्षम
‘पूसा शक्ति’ किस्म की सबसे खास बात यह है कि टमाटर की यह किस्म उच्च तापमान भी सहनशील है. इस किस्म की औसत उपज 351 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है, जो इसे व्यावसायिक खेती के लिहाज से बेहद लाभदायक साबित हो सकती हैं. इस किस्म की फलियां पकने के बाद गाढ़े लाल रंग की होती हैं और इनका पेरिकार्प (फल की बाहरी परत) लगभग 7.00 मिमी तक मोटी होती है. इसी वजह से यह टमाटर ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है. टमाटर की पूसा शक्ति में सॉल्युबल सॉलिड्स (TSS) यानी 4.8 डिग्री ब्रिक्स का मध्यम स्तर पाया जाता है, जिससे इसका स्वाद संतुलित होता है.
इन क्षेत्रों के लिए हैं बेस्ट
टमाटर की ‘पूसा शक्ति’ किस्म में लाइकोपीन की मात्रा 6 मि.ग्रा./100 ग्राम पाई गई है. लाइकोपीन एक प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होता है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद माना जाता है. वहीं, पूसा शक्ति बीजों से तैयार की गई एक ओपन पोलिनेटेड किस्म हैं, जिसे खासकर तौर पर छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों के लिए उपयुक्त माना गया हैं. किसान इसकी खेती मई से अक्टूबर के बीच भी कर सकते हैं. पूसा शक्ति उन किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प बनकर सामने आई है जो कम लागत में अच्छी गुणवत्ता और अधिक उपज वाली टमाटर किस्म की तलाश में रहते हैं. वहीं, यह किस्म जलवायु परिवर्तन के दौर में भी टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकती है.
क्या होता है ओपन पोलिनेटेड बीज
ओपन पोलिनेटेड बीज वे बीज होते हैं जो प्राकृतिक तरीके से परागण (जैसे हवा, कीड़े, या पानी के माध्यम से) से विकसित होते हैं. इन बीजों से उगने वाले पौधे आमतौर पर अपने मूल पौधे जैसे ही गुण रखते हैं, यानी किसान इनसे दोबारा बीज तैयार करके अगली फसल में भी उपयोग कर सकते हैं. यदि इन्हें अन्य किस्मों से अलग रखा जाए तो ये बीज कई पीढ़ियों तक समान गुणों के साथ बने रहते हैं. ओपन पोलिनेटेड बीज जैव विविधता को बनाए रखने, कम लागत में खेती करने और किसानों की आत्मनिर्भरता बढ़ाने में मददगार होते हैं.