भारत जैसे कृषि प्रधान देश में धान यानी पैडी की खेती लाखों किसानों की आजीविका का स्रोत है और करोड़ों लोगों का मुख्य आहार. लेकिन किसानों को धान की खेती में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जिनमें सबसे बड़ा खतरा कीटों का हमला होता है. ये कीट फसल को इतना नुकसान पहुंचा सकते हैं कि उत्पादन में भारी गिरावट आ जाए. इसलिए जरूरी है कि किसान समय रहते सही और असरदार कीट नियंत्रण के तरीके अपनाएं. तो आइए जानते हैं, धान की फसल में कौन-कौन से कीट नुकसान करते हैं और उनसे बचाव के आसान उपाय क्या हैं.
धान की फसल में आम कीट और उनका असर:
तना छेदक (Stem Borers): ये कीट पौधे के तने में सुराख कर देते हैं जिससे पानी और पोषक तत्वों का संचार रुक जाता है. इससे पौधे सूखने लगते हैं और दाने कम बनने लगते हैं.
राइस हिस्पा (Rice Hispa): ये कीट पत्तियों की निचली सतह को खाते हैं जिससे पत्तियां सफेद या चांदी जैसी दिखने लगती हैं और पौधा कमजोर हो जाता है.
ब्राउन प्लांट हॉपर (Brown Plant Hopper): यह कीट पौधे का रस चूसता है जिससे पत्तियां पीली होकर सूख जाती हैं और पैदावार घट जाती है.
राइस लीफ फोल्डर (Rice Leaf Folder): यह कीट पत्तियों को मोड़कर अंदर से खा जाता है, जिससे पौधे की बढ़त रुक जाती है.
कीट नियंत्रण के आसान उपाय:
सांस्कृतिक उपाय (Cultural Practices):
- खेत की समय पर जुताई करें.
- फसल चक्र अपनाएं (हर बार एक ही फसल न बोएं).
- खेत की सफाई रखें ताकि कीटों के अंडे और लार्वा न बचें.
जैविक नियंत्रण (Biological Control):
- कीटों के दुश्मन कीड़ों जैसे लेडी बर्ड और परजीवी ततैया को खेत में बढ़ावा दें.
- ये कीटों को खाकर उनकी संख्या कम करते हैं, जिससे फसल को नुकसान नहीं होता.
रासायनिक नियंत्रण (Chemical Control):
- अगर कीट बहुत ज्यादा हो जाएं तो कीटनाशकों का सीमित और सुरक्षित इस्तेमाल करें.
- हमेशा कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही दवा चुनें और तय मात्रा में ही छिड़काव करें.