जैसे ही बरसात का मौसम आता है, बकरी पालकों की परेशानी बढ़ जाती है. इसका वजह है दस्त. यह बीमारी बारिश के मौसम में तेजी से फैलती है और अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो पूरी बकरी की झुंड कमजोर हो जाती है. कई बार इलाज में देरी होने से बकरियों के मरने का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि, दस्त से बकरी का शरीर पानी और ताकत खोने लगता है, जिससे वह धीरे-धीरे खड़ी होने लायक भी नहीं रह जाती. इसलिए जरूरी है कि बकरी पालक समय रहते इसके कारण और इलाज को समझें, ताकि झुंड को सुरक्षित रखा जा सके.
बरसात में क्यों बढ़ता बै दस्त का खतरा
एक्सपर्टों की माने तो बरसात में मौसम नमी से भर जाता है. इसी दौरान बकरी के चारे में कीड़े, फंगस या बैक्टीरिया लग जाते हैं. अगर ये दूषित चीजें बकरी खा लेती हैं तो उसका पेट खराब हो जाता है और दस्त शुरू हो जाते हैं. दस्त की वजह से बकरी का शरीर पानी और जरूरी पोषक तत्व खो देता है, जिससे वह कमजोर होने लगती है.
दस्त आने के कारण
- गंदा या दूषित पानी पिलाना
- सड़ा-गला या बासी चारा खिलाना
- ज्यादा मात्रा में हरा चारा देना
- बहुत दिनों का पुराना रखा खाना खिलाना
- ठंडी हवा या पानी लग जाना
- गंदे पानी में उगी घास खिलाना
- पेट में कीड़ों का होना
- पानी की कमी या शरीर में डिहाइड्रेशन
बकरियों में दस्त से बचाव के उपाय
- आहार में अनाज की मात्रा कम करें – बरसात के मौसम में बकरियों के खाने में भारी अनाज या दाना कम देना चाहिए. इससे पाचन पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा.
- ठंड या नमी में हरे चारे की मात्रा घटाएं – क्योंकि ज्यादा हरा चारा दस्त की बड़ी वजह हो सकता है, इसलिए सीमित मात्रा में ही खिलाएं.
- कीड़ों से बचाव के लिए कृमिनाशक दवा दें – पेट में कीड़े दस्त का बड़ा कारण बनते हैं. इसलिए बरसात के महीने में डॉक्टर की सलाह पर बकरी को कृमिनाशक दवा जरूर दें.
- घर के नुस्खे न कारगर हों तो डॉक्टर से मिलें – अगर घरेलू उपचार से आराम न मिले तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. ध्यान दें कि देर करने पर बकरी की हालत बिगड़ सकती है.
- इंजेक्शन तभी लगवाएं जब डॉक्टर सलाह दें – दस्त के गंभीर मामलों में इंजेक्शन की जरूरत होती है, लेकिन इसे बिना डॉक्टर की सलाह के न लगवाएं.
- दवाएं हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही दें – बाजार में दस्त की कई दवाएं मिलती हैं, लेकिन सभी बकरी के लिए सुरक्षित नहीं होतीं. इसलिए खुद से कोई दवा न दें.