सर्दियों में बकरियों का हेल्थ जल्दी प्रभावित होता है, जिससे दूध कम और बीमारियां बढ़ सकती हैं. लेकिन सही देखभाल, गर्म वातावरण और संतुलित आहार अपनाकर किसान बकरियों को स्वस्थ रख सकते हैं और उत्पादन भी स्थिर बना सकते हैं.
पौष्टिक दूध और तेज बढ़ोतरी वाली यह बकरी कम हाइट में भी बड़ा मुनाफा देती है. ठंडे इलाकों की नस्ल अब मैदानी क्षेत्रों में भी आसानी से पाली जा रही है. कम खर्च, ज्यादा फायदा और बेहतरीन दूध क्वालिटी की वजह से किसान इसे अपनी पहली पसंद बना रहे हैं.
लंपी वायरस बकरियों के लिए तेजी से फैलने वाली खतरनाक बीमारी बन गया है. इसके कारण बकरियों के शरीर पर दर्दनाक गांठें बनती हैं, दूध कम होता है और वजन घटने लगता है. समय पर पहचान, साफ-सफाई, संक्रमित पशु को अलग रखना और सही इलाज से इस बीमारी से बचाव संभव है.
बकरी पालन लगातार कमाई देने वाला कारोबार है, लेकिन इसकी सफलता पूरी तरह बकरियों की सेहत पर निर्भर करती है. सही पोषण मिलने पर बकरियां तेजी से बढ़ती हैं, ज्यादा दूध देती हैं और बीमार भी कम पड़ती हैं. संतुलित आहार, पानी, मिनरल्स और प्रोटीन उनकी ताकत बढ़ाकर उत्पादन में बड़ा फर्क लाते हैं.
बकरी पालन में सफल होने के लिए किसानों को अपनी बकरियों की सेहत पर ध्यान देना जरूरी है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अनुसार स्वस्थ बकरी का तापमान, पानी पीने की आदत और खुर की स्थिति से आसानी से पहचान की जा सकती है. सही देखभाल से मुनाफा बढ़ता है.
सर्दियों में बकरियों पर प्लेग (PPR) और चेचक जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. एक बकरी बीमार हुई तो पूरा झुंड प्रभावित हो सकता है. ऐसे में पशुपालकों को समय पर लक्षण पहचानना, बकरियों को अलग रखना, शेड साफ और गर्म रखना और टीकाकरण करवाना बेहद जरूरी है. यही सावधानियां बड़ा नुकसान रोकती हैं.