मिट्टी का पोषणयुक्त होना फसल पैदावार को सबसे अधिक प्रभावित करती है. जिस मिट्टी में पौष्टिक तत्व की मात्रा जितनी बेहतरीन और संतुलन में रहेगी वह मिट्टी उतनी ही उपजाऊ होगी. नियमित मात्रा में पौष्टिक तत्व की मौजूदगी से पौधें स्वस्थ्य रहते हैं और फसल की उपज सटीक होती है. पौष्टिक तत्व जैसे की यूरिया, सोडियम, पोटाश, नाइट्रोजन आदि फसल की गुणवत्ता और पैदावार को बढ़ाते हैं.
फसल की किस्म, मिट्टी की उर्वरता और जलवायु के अनुसार इन तत्वों का उपयोग किया जाता है. नाइट्रोजन वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली गैस है. फसल की उपज बढ़ाने और पौधों को स्वस्थ रखने के लिए नाइट्रोजन का प्रयोग किया जाता है. अगर सही मात्रा में नाइट्रोजन धान की फसल में डाला गया तो फसल की उपज बेहतरीन होती है. ऐसे में जो भी किसान धान की खेती कर रहे हैं उनके लिए जानना जरूरी है कि धान की गुणवत्तापूर्ण और बेहतरीन उपज के लिए नाइट्रोजन कब और कैसे फसल में डालना चाहिए.
क्या हैं नाइट्रोजन के फायदे
नाइट्रोजन की सही मात्रा मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और फसल की प्रजाति पर निर्भर करती है. नाइट्रोजन पौधों में डाले जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व है. नाइट्रोजन पौधों में प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक है, जो पौधे के लिए बहुत ही फायदेमंद है. लेकिन नाइट्रोजन की अधिकता फसल को नुकसान पहुंचा सकती है. ज्यादा मात्रा में नाइट्रोजन डालने से धान की पत्तियां पीली पड़ जाती है. अधिक नाइट्रोजन पानी में मिलकर प्रदूषण का कारण बन सकता है. ऐसे में किसान के लिए जरुरी है कि धान की खेत में उचित मात्रा में नाइट्रोजन डालें.
नाइट्रोजन डालने की विधि
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नाइट्रोजन डालने से पहले किसान मिट्टी का परीक्षण अच्छी तरीके से करवा लें. मिट्टी परीक्षण के बाद ही मिट्टी की उर्वरता के अनुसार नाइट्रोजन डालें. जानकार बताते हैं कि आमतौर पर धान की फसल में प्रति हेक्टेयर 100 से 120 किलोग्राम यूरिया डालना पर्याप्त होता है. रोपाई के एक सप्ताह बाद पहली बार नाइट्रोजन डालना चाहिए. यह पौधों को जड़े जमाने और शुरुआती विकास के लिए मदद करता है. जब धान में कल्ले निकलने लगते हैं, उस समय दूसरी बार नाइट्रोजन डालना चाहिए. यह कल्लों की संख्या और दाने के आकार को बढ़ाने में मदद करता है.
इन बातों का रखें ध्यान
धान की खेत में नाइट्रोजन डालने वक्त किसान को कुछ बातों का जरुर ख्याल रखना चाहिए. धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद खेत में पर्याप्त नमी रहती है ऐसे में पहली बार नाइट्रोजन इस वक्त डाल देना चाहिए. फसल में नाइट्रोजन देने वक्त, समय का ध्यान भी रखें. नाइट्रोजन सुबह या फिर शाम के वक्त दें, तेज धूप में नाइट्रोजन बिल्कुल भी ना दें. तेज धूप में तापमान ज्यादा होने की वजह से नाइट्रोजन उड़ कर वायुमंडल में चली जाती है.
दूसरी ओर जब खेत में पानी भरा हो तो उस समय नाइट्रोजन डालने से बचना चाहिए. जिसकी वजह से नाइट्रोजन फूल कर पौधे की जड़ों से नीचे चली जाती है. जिसे पौधे ग्रहण नहीं कर पाते हैं और बहुत सारी नाइट्रोजन पानी में घुलने के बाद भांप बनकर वायुमंडल में चली जाती.