पशुओं की बीमारियों पर रिसर्च के लिए लैब शुरू, जटिल बीमारियों का तोड़ खोजेंगे वैज्ञानिक

हैदराबाद में देश की पहली पशु स्टेम सेल लैब शुरू हुई है, जो जटिल पशु रोगों पर शोध करेगी. यह लैब रीजनरेटिव मेडिसिन, जैव प्रौद्योगिकी और उन्नत जांच तकनीकों के जरिए पशु स्वास्थ्य और पशुपालकों की आय सुधारने में मदद करेगी.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 10 Aug, 2025 | 09:35 PM

अब सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पशुओं की जटिल बीमारियों का इलाज भी उन्नत तकनीकों से खोजा जाएगा. हैदराबाद में देश की पहली अत्याधुनिक एनिमल स्टेम सेल बायोबैंक और लैबोरेटरी का उद्घाटन हुआ है, जो पशुओं में होने वाली गंभीर बीमारियों पर रिसर्च कर इलाज के नए रास्ते खोलेगी. इस आधुनिक लैब में वैज्ञानिक अब उन बीमारियों को “तोड़” सकेंगे, जिनका अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं था. इसका मकसद पशुधन को और अधिक सुरक्षित और उत्पादक बनाना है.

देश की पहली पशु स्टेम सेल लैब का उद्घाटन

हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी (NIAB) में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस हाईटेक लैब का उद्घाटन किया. यह लैब 9300 वर्गफुट में फैली है और इसकी लागत 1.85 करोड़ रुपये है.

यह भारत की पहली ऐसी प्रयोगशाला है जो पशुओं के लिए स्टेम सेल रिसर्च, टिश्यू इंजीनियरिंग और रीजनरेटिव मेडिसिन जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में काम करेगी. इसका सीधा असर पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ेगा, जिससे किसानों और पशुपालकों को दीर्घकालिक लाभ मिल सकेगा.

बायोबैंक और लैब में हैं उन्नत उपकरण और सुविधाएं

इस बायोबैंक और लैब में 3D बायोप्रिंटर, स्टेम सेल कल्चर यूनिट, बैक्टीरियल कल्चर लैब, क्रायोस्टोरेज, ऑटोक्लेव रूम, एडवांस एयर हैंडलिंग सिस्टम और निरंतर पावर बैकअप जैसी तमाम आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. इन सुविधाओं के माध्यम से वैज्ञानिक पशुओं की जटिल बीमारियों की मॉडलिंग कर सकेंगे, जो रिसर्च और इलाज दोनों के लिए अहम साबित होगा. इससे प्रजनन बायोटेक्नोलॉजी में भी नए आयाम खुलेंगे.

‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण को मिलेगा बल

इस मौके पर पांच नए वेटरनरी डायग्नोस्टिक टूल्स भी लॉन्च किए गए, जिनका उद्देश्य पशु स्वास्थ्य प्रबंधन को आसान और तेज बनाना है. इन टूल्स से बीमारियों की पहचान शुरुआती स्तर पर ही हो सकेगी.

यह पहल ‘वन हेल्थ’ (One Health) की सोच को आगे बढ़ाती है, जिसमें इंसान, पशु और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में काम किया जाता है. इससे न केवल पशुधन की सुरक्षा होगी, बल्कि संक्रामक रोगों को इंसानों तक पहुंचने से भी रोका जा सकेगा.

बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत बन रहा है ग्लोबल लीडर

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस पहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच का परिणाम बताया. उन्होंने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी आने वाले समय की नई औद्योगिक क्रांति का अगुवा बनेगा, और भारत पहले से ही इस दिशा में बड़ी छलांग लगा चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि आने वाला समय सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग आधारित नहीं, बल्कि रीजनरेटिव और जेनेटिक टेक्नोलॉजी आधारित होगा, जिसमें मानव, पशु और पौधों का संयुक्त दृष्टिकोण अपनाया जाएगा.

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Published: 10 Aug, 2025 | 09:35 PM

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