बारिश का मौसम अपने साथ ठंडी हवाएं और हरियाली लेकर आता है. लेकिन इस मौसम में बकरीपालकों की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं. क्योंकि बरसात में अगर बकरियों की देखभाल में थोड़ी भी लापरवाही हो जाए तो कई तरह की बीमारियां उन्हें घेर सकती हैं. ऐसे में बकरीपालकों को कुछ जरूरी सावधानियां अपनानी चाहिए, जिससे उनके जानवर सेहतमंद रहें और उत्पादन में गिरावट न आए.
बकरियों के लिए अलग और साफ पशु बाड़ा बनाएं
बरसात के मौसम में सबसे बड़ी चुनौती होती है नमी और गंदगी. ऐसे में बकरियों को गीली और गंदी जगहों पर रखने से त्वचा संबंधी रोग, खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए बकरियों के लिए सूखा, हवादार और ऊंचाई पर बना पशु बाड़ा तैयार करें. इसके अलावा, बाड़े की सफाई नियमित रूप से करें और फर्श को सूखा रखने के लिए भूसे या लकड़ी के बुरादे का प्रयोग करें. इससे संक्रमण का खतरा कम रहेगा और बकरियां स्वस्थ रहेंगी.
चराई के समय रखें सावधानी
मानसून में बारिश के बाद हरियाली खूब होती है. लेकिन इसके साथ ही कई तरह के कीट-पतंगे और जहरीले पौधे भी पनपते हैं. ध्यान दें कि बकरियों को सुबह के समय जब धूप हल्की हो तब चरने के लिए बाहर ले जाएं. इससे उन्हें साफ हवा मिलेगी और बीमारियों से लड़ने की ताकत भी बढ़ेगी. लेकिन दोपहर बाद उन्हें बाहर न चराएं, क्योंकि इस समय कीड़े-मकौड़ों की सक्रियता बढ़ जाती है. चराई के दौरान बकरियां घास के साथ काई भी खा लेती हैं, जो पेट में जाकर कीड़े बना देती है.
पेट के कीड़ों से बचाव के लिए दें दवा
बरसात में पेट के कीड़े बकरियों की सेहत के लिए बड़ा खतरा बन जाते हैं. इनसे उनकी भूख कम हो जाती है और वजन गिरने लगता है. ऐसे में हर 3 से 4 महीने के अंतराल पर बकरियों को पेट साफ करने की दवा जरूर दें. इससे न केवल उनका पाचन तंत्र ठीक रहेगा बल्कि भूख भी बढ़ेगी और शरीर मजबूत रहेगा. ध्यान दें कि दवा देने से पहले पशु चिकित्सक की सलाह जरूर लें.
टीकाकरण और खानपान का रखें विशेष ध्यान
मानसून शुरू होने से पहले ही बकरियों का टीकाकरण करा लें. इससे गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकेगा. साथ ही, खानपान में भी कुछ बदलाव करें. बकरियों को हरे चारे के साथ-साथ नीम की पत्तियां भी खिलाएं. नीम की पत्तियों से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और वायरल संक्रमण से भी बचाव होता है. साथ ही स्वच्छ और पोषणयुक्त आहार से बकरियों की सेहत अच्छी बनी रहती है.