सावधान! पशु के थन में सूजन है खतरे की घंटी, थनैला रोग चुपके से कर देगा बड़ा नुकसान

Thanaila rog care tips: दुधारू पशुओं में तेजी से फैल रहा थनैला रोग किसानों के लिए बड़ी चिंता बन गया है. थन में सूजन, लालिमा और दूध कम होना इसके शुरुआती लक्षण हैं. समय पर पहचान और सही देखभाल से आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है. साफ-सफाई और नियमित जांच से यह बीमारी रोकी जा सकती है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Updated On: 27 Nov, 2025 | 04:11 PM

Dairy Cattle : गांवों में अक्सर किसान कहते हैं कि थन में हल्की समस्या दिखे तो समझो दूध आधा हो जाएगा. यह बात बिल्कुल सही है. दुधारू पशुओं में होने वाला थनैला रोग (Mastitis) सबसे खतरनाक बीमारियों में गिना जाता है, क्योंकि इससे दूध की मात्रा ही नहीं, बल्कि पूरा थन खराब होने का खतरा रहता है. सही समय पर पहचान और देखभाल कर ली जाए, तो किसान बड़ी आर्थिक हानि से बच सकते हैं. आइए आसान भाषा में जानें यह बीमारी क्या है, कैसे फैलती है और इससे बचने के सबसे सरल उपाय क्या हैं.

क्या है थनैला और कैसे पहचानें?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, थनैला रोग  दुनिया के लगभग हर हिस्से में पाया जाता है. यह जीवाणु, वायरस या प्रोटोजोआ के संक्रमण से होता है. सबसे पहले पशु के थन और अयन में सूजन, गर्मी, और हल्की लालिमा दिखाई देती है. दूध निकालने पर दूध के साथ रक्त आना, दूध का हल्का लाल होना, और झागदार या गांठ जैसा दूध मिलना इसकी मुख्य पहचान है. कुछ दिनों बाद प्रभावित थन से दूध आना कम या बंद हो जाता है. अगर समय पर इलाज न मिले, तो थन सूख जाता है और पूरी तरह खराब हो सकता है, जिससे किसान को भारी नुकसान झेलना पड़ता है.

बीमारी कैसे फैलती है और क्यों खतरनाक है?

यह बीमारी अक्सर गंदगी, गलत तरीके से दुहाई, संक्रमित बर्तन या पशु के रहने की जगह साफ न होने से फैलती है. थनैला सिर्फ पशु के लिए ही नहीं, मनुष्यों के लिए भी खतरनाक है. संक्रमित दूध  अगर गलती से इस्तेमाल हो जाए, तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. यही कारण है कि इस बीमारी को दूध उद्योग में सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी माना जाता है.

रोकथाम और सही देखभाल

थनैला से बचने का सबसे आसान तरीका हैसफाई, समय पर जांच और नियमित देखभाल.

  • दुहाई से पहले और बाद में अयन को एंटीसेप्टिक लोशन से साफ करें.
  • थन पर गर्म पानी, तेल या घी की मालिश न करें.
  • दूध निकालते समय पहली धारें बाहर गिराएं ताकि गंदगी न मिले.
  • ज्यादा दूध देने वाले पशुओं को थनैला का टीका लगवाएं.
  • यदि थनों पर बच्चों के दांत लग जाएं, तो बोरिक मलहम या जेंटियन वायलेट क्रीम लगाएं.
  • बर्तन हमेशा उबलते पानी से धोकर धूप में सुखाएं.
  • पशु रहने की जगह पर सफाई, सूखा फर्श और हवा निकासी का ध्यान रखें.

अगर पशु में बीमारी दिखे, तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक  को दिखाएं, क्योंकि शुरुआती इलाज से ही पूरा नुकसान रोका जा सकता है.

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Published: 27 Nov, 2025 | 03:45 PM

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