Thanaila Rog: बरसात में गाय हो सकती हैं बीमार, समय पर पहचानें थनैला रोग वरना हो सकता है भारी नुकसान

बरसात के मौसम में गायों में थनैला रोग तेजी से फैलता है, जिससे दूध उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. समय पर पहचान और घरेलू उपाय से इसका इलाज संभव है. सावधानी, साफ-सफाई और पोषण से इस रोग से बचा जा सकता है और नुकसान रोका जा सकता है.

नोएडा | Published: 19 Sep, 2025 | 09:00 AM

Cattle Disease: बरसात का मौसम जहां खेतों के लिए फायदेमंद होता है, वहीं यह पशुओं के लिए कई बीमारियों की वजह भी बन जाता है. खासकर दुधारू पशुओं जैसे गाय और भैंसों में इस मौसम में थनैला नाम की बीमारी तेजी से फैलती है. यह रोग सुनने में भले ही आम लगे, लेकिन अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो इससे गाय की दूध देने की क्षमता खत्म हो सकती है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जैसे जिलों में, जहां किसान पशुपालन से अपनी आमदनी बढ़ाने में लगे हैं, वहां यह बीमारी भारी नुकसान का कारण बन सकती है.

क्या है थनैला रोग?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, थनैला एक खतरनाक और दर्दनाक रोग है जो गायों के थनों में होता है. यह बीमारी विशेष रूप से दुधारू पशुओं को प्रभावित करती है. जब गाय थनैला से पीड़ित होती है, तो उसके थनों में सूजन आ जाती है, थन सख्त हो जाते हैं और कभी-कभी गांठ जैसी भी महसूस होती है. इससे दूध निकलने का रास्ता संकरा हो जाता है और दूध की जगह पस या खून निकलने लगता है. यह रोग अक्सर जीवाणु, वायरस, माइकोप्लाज्मा या फंगस के संक्रमण से होता है.

रोग के लक्षण क्या हैं? ऐसे करें पहचान

थनैला रोग की पहचान समय पर करना बेहद जरूरी है, जिससे इलाज जल्दी शुरू हो सके. इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:-

  • थन का आकार सामान्य से बड़ा हो जाना
  • थनों में सूजन और गर्मी महसूस होना
  • थनों में सख्त गांठ बनना
  • गाय का बेचैन रहना और दर्द के कारण बार-बार चिल्लाना
  • दूध में खून या पस का आना
  • दूध कम या बिल्कुल न आना
  • यदि इन लक्षणों में से कोई एक भी दिखाई दे तो तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है.

आसान और असरदार उपाय

यदि आपके क्षेत्र में डॉक्टर तुरंत उपलब्ध न हो, तो कुछ घरेलू उपाय अपनाकर शुरुआती स्तर पर राहत दी जा सकती है.

  • अरंडी का तेल: गाय के थनों पर हल्के हाथों से अरंडी (castor) तेल की मालिश करें. इससे सूजन में राहत मिलती है.
  • दही और गुड़: दिन में दो बार आधा किलो दही और थोड़ा गुड़ गाय को खिलाएं. यह उसकी पाचन शक्ति बढ़ाने में मदद करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है.
  • नीम का पानी: नीम के पत्ते पानी में उबालें और उस पानी से थनों की सिकाई करें. यह एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है और संक्रमण को रोकने में मदद करता है.

इलाज में देरी बनी नुकसान की वजह

अगर थनैला रोग का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह इतना बढ़ सकता है कि गाय का थन काटना पड़ सकता है. इससे गाय हमेशा के लिए दूध देना बंद कर देती है, और किसान को बड़ा नुकसान होता है. इसलिए शुरुआती लक्षण दिखते ही पशु चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है. सरकार की तरफ से भी अब ग्रामीण इलाकों में पशु स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं, जहां मुफ्त जांच और दवा उपलब्ध होती है.

सावधानी रखें, बीमारी से बचाव ही सबसे बेहतर उपाय

थनैला रोग से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि गायों को साफ और सूखा स्थान दिया जाए. बरसात में गंदगी और नमी से संक्रमण फैलता है. इसलिए गोशाला को रोजाना साफ करें, सूखा भूसा बिछाएं और थनों को दिन में दो बार गुनगुने पानी से धोएं. साथ ही, समय-समय पर पशु चिकित्सक से गाय की जांच कराना भी बहुत जरूरी है.

 

Published: 19 Sep, 2025 | 09:00 AM

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