स्वास्थ्य मंत्री की किसानों से भावुक अपील, कहा- पराली जलाना मां धरती के ‘दिल को जलाने’ जैसा

पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं थम नहीं रही हैं. 28 मई तक 10,175 मामले सामने आए. स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने कहा कि धुआं सेहत के लिए खतरनाक है.

वेंकटेश कुमार
नई दिल्ली | Updated On: 30 May, 2025 | 02:24 PM

पंजाब सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. प्रदेश में 28 मई तक पराली जलाने के करीब 10,175 मामले सामने आए हैं. इस पर स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने किसानों से भावुक अपील करते हुए कहा कि पराली जलाना मां धरती के ‘दिल को जलाने’ जैसा है. हालांकि, राज्य में पराली जलाने वाले किसानों के ऊपर सकार सख्त कार्रवाई कर रही है. ऐसे किसानों के ऊपर केस दर्ज किए जा रहे हैं. साथ ही किसानों को धान की जगह दूसरी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. फिर भी किसान हैं कि बाज नहीं आ रहे हैं.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पटियाला जिले के कट मठी गांव के दौरे पर मंत्री ने खेतों में गेहूं की पराली जलाने की घटनाओं पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि जब खेतों से धुआं उठता है, तो दिल दुख से भर जाता है. ये सिर्फ पराली नहीं, बल्कि हमारी उपजाऊ मिट्टी, पर्यावरण और बच्चों का भविष्य है जो जल रहा है. खास बात यह है कि जहां अधिकतर नेता इस मुद्दे पर चुप हैं, वहीं बलबीर सिंह ने किसानों को जोरदार और भावनात्मक संदेश दिया है.

धुएं से शरीर की इम्युनिटी होती है कमजोर

मंत्री बलबीर सिंह ने कहा कि पराली जलाने से वन्यजीव, पेड़-पौधे और फायदेमंद कीट भी प्रभावित होते हैं. साथ ही, यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा करता है. बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है. उन्होंने चेतावनी दी कि धुएं से शरीर की इम्युनिटी कमजोर होती है और अस्थमा, कोविड, कैंसर जैसी बीमारियां और भी बिगड़ जाती हैं. मंत्री ने कहा कि जहरीली हवा में लंबे समय तक सांस लेने से ब्रेन डैमेज, लकवा और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

कब कितने आए पराली जलाने के मामले

उन्होंने किसानों से सोच और तरीकों को बदलने की अपील की. उन्होंने कहा कि पराली जलाने की जगह उसे मिट्टी में मिलाएं. इससे खेत की उपजाऊ ताकत बढ़ती है और सेहत भी सुरक्षित रहती है. पर्यावरण और इंसानी जीवन के आपसी रिश्ते को समझाते हुए मंत्री बलबीर सिंह ने कहा कि हम तभी तक जिंदा रह पाएंगे, जब तक पर्यावरण के अनुकूल खेती अपनाएंगे. खेत जलाना सिर्फ प्रकृति नहीं, इंसानियत को भी खत्म करना है. आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में 2022 में 14,511, 2023 में 11,355 और 2024 में 11,904 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुई हैं.

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Published: 30 May, 2025 | 02:20 PM

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