सितंबर में मछली पालक रखें खास ख्याल, नहीं तो हो सकता है तालाब और मछली को नुकसान

सितंबर महीने में मछली पालकों को तालाब की देखभाल और पानी की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए. सरकारी सलाह का पालन करके मछली की सेहत, उत्पादन और आमदनी में सुधार किया जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 13 Sep, 2025 | 08:00 PM

Bihar News: बिहार में मछली पालन (मत्स्य पालन) आज के समय में खेती के साथ एक मजबूत आमदनी का जरिया बन चुका है. खासकर उन किसानों के लिए जो कम जमीन में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं. सितंबर का महीना मछली पालकों के लिए काफी खास होता है, क्योंकि इस समय तालाब की देखभाल और मछलियों की सही बढ़त पर ध्यान देना जरूरी होता है. इस मौसम में कुछ गलतियां पूरे साल की मेहनत पर पानी फेर सकती हैं. बिहार सरकार का पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, मत्स्य निदेशालय ने सितंबर महीने में पालन के दौरान जरूरी सुझाव जारी किए हैं, जो मछली पालकों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं.

रासायनिक खाद का सीमित उपयोग करें

तालाब में मछलियों की सही वृद्धि के लिए कुछ लोग अधिक मात्रा में रासायनिक खाद डाल देते हैं, लेकिन ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है. नर्सरी तालाब में अत्यधिक रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने से पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जिससे मछलियों को नुकसान हो सकता है. पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और मछलियों की सेहत बिगड़ सकती है. इसलिए केवल जरूरी मात्रा में ही खाद का उपयोग करें और बिना विशेषज्ञ की सलाह के प्रयोग से बचें.

पानी का रंग हरा हो जाए तो क्या करें?

अगर नर्सरी तालाब का पानी हल्का हरा हो जाए, तो ये संकेत हो सकता है कि उसमें शैवाल (एल्गी) ज्यादा हो गए हैं. ऐसे में बिहार सरकार की सलाह है कि 20 किलोग्राम फिटकरी प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोलकर उसका छिड़काव करें. फिटकरी पानी को साफ करने और हानिकारक तत्वों को हटाने में मदद करती है. इसका उपयोग करने से तालाब का पानी संतुलित रहता है और मछलियों को बेहतर वातावरण मिलता है.

तालाब की सफाई पर दें विशेष ध्यान

सितंबर के समय तालाब में गंदगी, सूखी पत्तियां और अन्य अपशिष्ट जमा हो सकते हैं, जिससे मछलियों को नुकसान होता है. पानी के सतह पर तैरती गंदगी को निकालते रहें. अगर बारिश के कारण मिट्टी बहकर तालाब में आ गई है, तो उसकी भी सफाई करें. इससे मछलियों को ताजा और स्वच्छ पानी मिलेगा और वे तेजी से बढ़ेंगी.

मछलियों की सेहत पर रखें नजर

इस मौसम में तापमान और बारिश दोनों के असर से मछलियों पर असर पड़ता है. अगर मछलियां तालाब की सतह पर बार-बार सांस लेती दिखें या सुस्त नजर आएं, तो यह संकेत है कि पानी में ऑक्सीजन की कमी है. ऐसे में एरिएटर (पानी में ऑक्सीजन देने वाली मशीन) का इस्तेमाल करें या पानी को बदलें. साथ ही, समय-समय पर मछलियों की जांच करते रहें ताकि किसी बीमारी का समय रहते इलाज हो सके.

सरकारी योजनाओं और सलाह का लें लाभ

बिहार सरकार का पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग समय-समय पर मछली पालकों को सलाह और योजनाएं प्रदान करता है. सितंबर माह में जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, उनका पालन करने से उत्पादन बढ़ेगा और नुकसान से बचा जा सकता है. नजदीकी विभागीय कार्यालय या मत्स्य विस्तार अधिकारी से संपर्क कर के और जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

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Published: 13 Sep, 2025 | 08:00 PM

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