क्या होती है फ्रूट बैगिंग तकनीक, इसकी मदद से कैसे बेहतर हो जाती है आम की क्वालिटी?

तेलंगाना में किसान आम की गुणवत्ता सुधारने के लिए फ्रूट बैगिंग तकनीक अपना रहे हैं. यह तकनीक फल मक्खियों और मौसम की मार से सुरक्षा देती है, कीटनाशकों की जरूरत घटाती है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 3 Jun, 2025 | 08:11 PM

तेलंगाना के किसान अब आम की गुणवत्ता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक नई फ्रूट बैगिंग तकनीक अपना रहे हैं. इस तकनीक में आम के फलों पर खास तरह के दो परत वाले बैग चढ़ाए जाते हैं, जिनकी बाहरी परत भूरे या क्रीम रंग की होती है और अंदर की परत काली होती है.

हर बैग की कीमत करीब 2 रुपे से 2.5 रुपये होती है. किसानों का कहना है कि बैग फ्रूट आम को कीटों और मौसम की मार से बचाव करते हैं. साथ ही इससे आम पर दाग नहीं लगते और रंग एक तरह का रहता है. इसके अलावा इस तकनीक को अपनाने से कीटनाशकों की जरूरत कम हो जाती है, जिससे आम ज्यादा सुरक्षित और प्राकृतिक बनते हैं.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, महबूबनगर के किसान मुरलीधर रेड्डी ने कहा कि एक आम की बैगिंग करने से उसकी क्वालिटी अच्छी रहती है और कीमत भी ज्यादा मिलती है. फ्रूट रिसर्च स्टेशन संगारेड्डी के अनुसार, आम की फसल को फल मक्खी, बेमौसम बारिश, नमी और तापमान में बदलाव से नुकसान होता है. फल मक्खियां आम के गूदे में अंडे देती हैं, जिससे फल खराब हो जाते हैं. आमतौर पर किसान इससे बचाव के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बैगिंग से यह जरूरत काफी हद तक खत्म हो जाती है. यानी फ्रूट बैगिंग तकनीक आम की गुणवत्ता बढ़ाने, रसायनों के इस्तेमाल को कम करने और निर्यात की संभावनाएं बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हो रही है.

फ्रूट बैगिंग तकनीक के ये हैं फायदे

वहीं, केंद्र सरकार का भी कहना है कि फ्रूट बैगिंग तकनीक आम की फसल को कीटों (जैसे आम हॉपर और फ्रूट फ्लाई) और मौसम की मार (गर्मी, तेज हवा और बारिश) से बचाने का सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प है. यह तकनीक आम को कीटनाशकों के सीधे संपर्क से बचाती है, जिससे फल पर दाग-धब्बे नहीं आते और उसका रंग अच्छा बना रहता है – जो निर्यात के लिए आदर्श होता है.

इन किस्म के आमों की होती है फ्रूट बैगिंग

यह तकनीक बंगिनपल्ली, हिमायत, केसर और दशहरी किस्मों पर अच्छा असर करती है. लेकिन सुवर्णरेखा और टॉमी एटकिंस जैसी किस्मों के लिए यह फायदेमंद नहीं है. FRC (फ्रूट रिसर्च सेंटर) की प्रमुख वैज्ञानिक वी. सुचित्रा कहती हैं कि इन किस्मों पर बैगिंग कटाई से एक हफ्ता पहले हटानी होती है, नहीं तो यह नुकसानदायक हो सकती है. डॉ. सुचित्रा ने कहा कि कि बैगिंग करने से पहले फलों की जांच बहुत जरूरी है. अगर फल पहले से संक्रमित हैं और उन्हें ढक दिया जाए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है. ऐसा जगतियाल जिले में देखा गया है.

तोड़ाई से 45 दिन पहले करें फ्रूट बैगिंग

इस साल क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (CDP) के तहत महबूबनगर जिले के किसानों को सब्सिडी पर बैग दिए गए हैं. बागवानी और रेशम विभाग की निदेशक शैक यासमीन बाशा ने कहा कि जल्द ही यह योजना जगतियाल और खम्मम जैसे जिलों में भी शुरू की जाएगी. ऐसे बैगिंग आमतौर पर तब की जाती है जब फल गोल आकार लेने लगते हैं और उनका रंग बदलना शुरू होता है. यानी तोड़ाई से लगभग 40-45 दिन पहले. इससे फल को कीटों और मौसम से पर्याप्त सुरक्षा मिलती है.

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Published: 3 Jun, 2025 | 08:03 PM

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