एक ही जमीन में खेती और बिजली का होगा उत्पादन, पैदावार में भी इजाफा.. शुरू हुआ प्रोजेक्ट

बिहार के गया जिले में TCI और PRAN ने राज्य की पहली एग्रीवोल्टाइक्स साइट शुरू की है, जहां सोलर पैनलों के नीचे फसलें उगाई जा रही हैं. यह टिकाऊ खेती और सौर ऊर्जा का संयोजन है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 12 Jun, 2025 | 11:30 AM

टाटा कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (TCI) और PRAN (Preservation and Proliferation of Rural Resources and Nature) ने बिहार के गया जिले में राज्य की पहली एग्रीवोल्टाइक्स साइट शुरू की है. एग्रीवोल्टाइक्स एक ऐसी तकनीक है जिसमें खेतों में सोलर पैनल लगाए जाते हैं और उनके नीचे छांव सहने वाली फसलें उगाई जाती हैं. इससे एक ही जमीन पर खेती और बिजली दोनों का उत्पादन होता है. यह साइट गया के शेरघाटी ब्लॉक के नवादा गांव में बनाई गई है. इसमें 20 किलोवाट के सोलर पैनल से बिजली पैदा की जाती है, जो अनाज की चक्की और माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम को चलाने में काम आती है. इस प्रोजेक्ट को जैन इरिगेशन सिस्टम्स की मदद से तैयार किया गया है.

TCI के समर्थन से किसानों ने खुद इसमें निवेश किया है और अब वे इस सिस्टम के मालिक भी हैं. उन्हें अब सूखे मौसम में भी सिचाई की सुविधा मिलेगी, जिससे फसल उत्पादन बढ़ेगा और खेती से निकलने वाले ग्रीनहाउस गैसों में भी कमी आएगी. गया जिले के नवादा गांव में बनाए गए एग्रीवोल्टाइक्स फार्म में ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे फसल के लिए पानी की खपत कम हो जाती है. यहां किसान अनाज की चक्की से सेवा शुल्क लेकर अतिरिक्त कमाई भी कर पाएंगे

टिकाऊ खेती की दिशा में एक बड़ा कदम

TCI के डायरेक्टर प्रभु पिंगाली ने कहा कि यह साइट बिहार में एग्रीवोल्टाइक्स और टिकाऊ खेती की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह दिखाता है कि क्लाइमेट-स्मार्ट टेक्नोलॉजी से फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और साथ ही ग्रीनहाउस गैसों में भी कमी लाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि किसान और नीति निर्माता इस प्रोजेक्ट से सीख लेकर बिहार और पूरे भारत में एग्रीवोल्टाइक्स को अपनाएंगे. भविष्य में, TCI इस तकनीक को बड़े स्तर पर लागू करने के तरीके ढूंढेगा. नवादा साइट पर रिसर्चर्स यह भी जांचेंगे कि क्या यह सिस्टम किसानों की सिंचाई और अनाज प्रोसेसिंग की जरूरतों को पूरा कर पा रहा है और इसका फसल उत्पादन व किसानों की आय पर क्या असर हो रहा है.

हाई-वैल्यू फसलें भी उगा पाएंगे

TCI के मैनेजर मिलोराद प्लाव्सिक ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सोलर से चलने वाली सिंचाई की सुविधा से किसान अब ऐसी हाई-वैल्यू फसलें भी उगा पाएंगे, जो वे पहले नहीं उगाते थे. इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी. PRAN के डायरेक्टर अनिल वर्मा ने कहा कि यह एक अनोखा प्रोजेक्ट है, क्योंकि यह खेती और सोलर एनर्जी को एक साथ जोड़ता है. इससे किसान अलग-अलग इंटरक्रॉपिंग मॉडल अपनाकर अपनी जमीन से ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं. साथ ही पानी बचता है और ग्रीनहाउस गैसें भी घटती हैं.

उनके परिवारों को ट्रेनिंग और सहयोग देगी

आने वाले महीनों में PRAN की टीम किसानों और उनके परिवारों को ट्रेनिंग और सहयोग देगी, ताकि यह एग्रीवोल्टाइक्स प्रोजेक्ट लंबे समय तक चल सके. नवादा की यह साइट TCI के ‘Zero-Hunger, Zero-Carbon Food Systems’ प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसका मकसद खेती से जुड़ी ग्रीनहाउस गैसों को कम करना और किसानों की आय व उत्पादन बढ़ाना है. इस प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में रिसर्चर्स यह देख रहे हैं कि यह तकनीकें असल जिंदगी में कितनी असरदार हैं. एग्रीवोल्टाइक्स के अलावा, TCI धान की बेहतर खेती तकनीक, एडवांस ब्रीडिंग और मवेशियों के लिए मीथेन कम करने वाले सप्लीमेंट पर भी काम कर रहा है.

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