OPINION: चुप न रहें, खामोशी से अत्याचार न सहें, आवाज उठाएं… इससे पहले कि आपकी आवाज बंद कर दी जाए

आपकी जिंदगी खत्म करने का अधिकार किसी के पास नहीं हो और न ही किसी को यह अधिकार दीजिए. पिता के घर से डोली उठेगी और ससुराल से अर्थी जैसी बातें छोड़ दीजिए. हिम्मत कीजिए और उठ खड़े होइये अन्याय के खिलाफ.

नोएडा | Updated On: 25 Aug, 2025 | 05:14 PM

यह कहानी ग्रेटर नोएडा की है. राजधानी दिल्ली से सटा इलाका. यहां एक महिला को जलाकर मारने की घटना सामने आई है. आरोप है कि पति और उसके परिवार ने महिला को जलाकर मार दिया. मामले में गिरफ्तारी भी हो चुकी है. हमने अभी तक कहीं नाम का जिक्र नहीं किया, क्योंकि पति का नाम विपिन की जगह कुछ भी हो सकता था. महिला का नाम निक्की की जगह और भी कुछ हो सकता था. जगह ग्रेटर नोएडा की जगह और भी कोई हो सकती थी. लेकिन समस्या और उसकी जड़ वही है, जो पूरे देश में अब भी बरकरार है.

यह घटना तो दिल्ली यानी देश की राजधानी के करीब हुई है. लेकिन यह देश में किसी भी गांव, कस्बे, नगर, महानगर की घटना हो सकती है.
मीडिय रिपोर्ट्स में जो फैक्ट हैं, उन्हें एक बार और देख लेते हैं. दो बहनों की एक ही परिवार में शादी हुई. साल था 2016. उसके बाद से लगातार टॉर्चर का सिलसिला चल रहा था. ऐसा लड़की के पिता का कहना है. लड़की के पिता के अनुसार,
शादी में स्कॉर्पियो दी गई.
उसके बाद मांग आई बुलेट की, वो भी पूरी की गई.
पिता ने बेटी का ब्यूटी पार्लर भी खुलवा दिया.
लड़का कोई काम नहीं करता था.
अब मांग आई 36 लाख रुपए की
लड़की के पिता के पास मर्सिडीज है. लड़के की डिमांड यह भी थी कि वो मर्सिडीज ड्राइव करना चाहता है.

इन डिटेल्स से यह समझ आता है कि लड़की का परिवार अमीर है. वह एक के बाद एक दामाद की मांग पूरी करता रहा. लेकिन नौ साल में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ या कम से किसी मीडिया रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है कि पिता ने अपनी बेटी से कहा हो कि ऐसे लोगों के साथ रहने का कोई मतलब नहीं. तुम अपने घर आ जाओ. यहीं रहो.
किसान इंडिया में हमारा सवाल यही है. हम महिला किसानों पर मुहिम कर रहे हैं मेरी आवाज सुनो. लेकिन इस घटना को सुनकर हमें लगा कि महिला किसानों के बीच एक साधन-संपन्न महिला की बात भी हमें करनी चाहिए. ऐसी महिला, जिसके परिवार के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी. उन्हें नौ साल तक पता चलता रहा कि बेटियों के साथ टॉर्चर हो रहा है. लेकिन उन्होंने बेटियों की जिंदगी खतरे में रहना स्वीकार किया, उन्हें ससुराल से मायके बुलाना नहीं.

जलाए जाने की घटना या इसके आसपास के समय का एक वीडियो होने की भी बात कही जा रही है, जो बड़ी बहन ने बनाया. दोनों बहने अपने पांव पर खड़ी थीं. लेकिन दोनों मिलकर भी अलग होने का कदम नहीं उठा सकीं. वे दोनों यह नहीं कह सकीं कि हम अलग रहेंगे, हमारी जिंदगी को खतरा है. यानी न तो पिता ने घर बुलाया. न ही टॉर्चर झेल रही महिलाओं ने अलग होने का कदम उठाया.

सवाल यही है कि मेरी आवाज सुनो जैसी मुहिम चलाई जा सकती है. लेकिन आवाज तो आए. जब आप खुद पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कोई आवाज ही नहीं उठाएंगे, तो आपकी आवाज कोई कैसे सुनेगा. और जो सुन रहे थे, उन पर समाज क्या कहेगा वाला तमगा हावी था. यानी बेटी की तो ससुराल से अर्थी ही उठती है वाली मानसिकता. वह ससुराल छोड़कर आ गई, तो लोग क्या कहेंगे? स्कॉर्पियो दे दी गई, बुलेट दे दी गई. ससुराल में रहते हुए ही ब्यूटी पार्लर खुलवा दिया गया. लेकिन यह हिम्मत नहीं कर सके कि मेरी बेटी खतरे के साए में नहीं रहेगी. अभी मामले में काफी कुछ और सामने आएगा. लेकिन अभी तक जो रिपोर्ट्स दिखी हैं, वे बेहद डिस्टर्बिंग हैं. दोनों पक्षों के लिहाज से.

हम अपने इस प्लेटफॉर्म पर खेती-किसानी की बात करते हैं. लेकिन खेती-किसानी भी समाज से अलग कैसे हो सकती है. इसीलिए हमें यह मुद्दा उठाना पड़ा.

मां-बाप से गुजारिश है हिम्मत कीजिए. मां-बाप हिम्मत नहीं कर पा रहे तो आप हिम्मत कीजिए. जुल्म मत सहिए. आपकी जिंदगी खत्म करने का अधिकार किसी के पास नहीं हो और न ही किसी को यह अधिकार दीजिए. पिता के घर से डोली उठेगी और ससुराल से अर्थी जैसी बातें छोड़ दीजिए. अपने बेटियों को पढ़ाएं, उन्हें यह हिम्मत दें कि वो आवाज उठा सकें. ..और अगर मां-बाप यह न सिखा पाएं तो बेटियों को खुद ही हिम्मत जुटानी पड़ेगी.

Published: 25 Aug, 2025 | 05:09 PM