मध्य प्रदेश में 66 लाख रुपये का धान घोटाला, खरीद केंद्र से इस तरह गायब हो गया अनाज

जबलपुर जिले के सिहोरा स्थित अरनवी वेयरहाउस-52 से 66 लाख रुपये से अधिक कीमत का धान गायब मिला है. जांच में 2,861.15 क्विंटल धान की कमी पाई गई. केंद्र प्रभारी और वेयरहाउस ऑपरेटर पर केस दर्ज हो गया है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 25 May, 2025 | 10:09 AM

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में एक सरकारी धान खरीदी केंद्र से 66 लाख रुपये से ज्यादा कीमत का धान गायब होने का मामला सामने आया है. खाद्य विभाग की जांच में सिहोरा के अरनवी वेयरहाउस-52 में रखे गए धान में गड़बड़ी पाई गई. यह वेयरहाउस बुढागर की लार्ज प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटी द्वारा संचालित है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच के दौरान पता चला कि 2800 क्विंटल से ज्यादा धान का कोई हिसाब नहीं है. इसके बाद पुलिस ने केंद्र प्रभारी प्रिंस उपाध्याय और वेयरहाउस ऑपरेटर प्रियंका सोनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है. गोसलपुर थाना द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, खाद्य विभाग की फिजिकल वेरिफिकेशन में 545 बोरियों में से 218 क्विंटल धान कम पाया गया.

स्टॉक में लगभग 2,643.15 क्विंटल धान की कमी बताई

भरे हुए धान की बोरियों के वजन की गई तो जांच में हर बोरी में 3 से 10 किलो तक कम वजन पाया गया. वेयरहाउस में 370 बोरियों में रखे 148 क्विंटल धान की गुणवत्ता खराब पाई गई. हर बोरी में कम से कम 3 किलो वजन की कमी के हिसाब से, प्रति क्विंटल चावल में लगभग 7.5 किलो की कमी हुई है. कुल 35,242.14 क्विंटल धान खरीदा गया था, जिससे स्टॉक में लगभग 2,643.15 क्विंटल धान की कमी बताई गई है.

गायब धान की अनुमानित कीमत 65,80,645 रुपये

फिजिकल जांच में असल में 2,861.15 क्विंटल धान की कमी पाई गई, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 65,80,645 रुपये है. इस धान के गबन को सरकार के साथ धोखाधड़ी माना गया है. यह खरीफ मार्केटिंग वर्ष 2024-25 के लिए जारी की गई खरीद नीति और समय-समय पर जारी आदेशों और निर्देशों का उल्लंघन भी है.

बीजेपी विधायक ने उठाया था मामला

बता दें कि जबलपुर में धान घोटाला का यह कोई नया मामला नहीं है. इस मार्च महीने में भी जबलपुर जिले में एक बड़ा धान घोटाला सामने आया था, जिसकी अनुमानित राशि 30 करोड़ रुपये बताई गई थी. यह खुलासा एक जांच समिति ने किया था. जबलपुर के जिलाधिकारी दीपक सक्सेना के अनुसार, यह जांच समिति तब बनाई गई जब कुछ महीने पहले पूर्व मंत्री और वर्तमान बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने धान की खरीदी, उठाव और जिले के बाहर मिलों में भेजने की प्रक्रिया में गड़बड़ियों की शिकायत की थी. ये धान चावल में प्रोसेस करके सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए लोगों तक पहुंचाया जाता है.

 

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Published: 25 May, 2025 | 07:52 AM

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