गर्मी अब अपने सबसे खतरनाक दौर में पहुंचने वाली है. 25 मई से 2 जून तक चलने वाले नौतपा के दौरान उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश के कई हिस्सों समेत मैदानी इलाकों में तापमान बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. इन 9 दिनों की झुलसा देने वाली गर्मी का असर सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दुधारू मवेशियों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा. तेज लू और गर्म हवाओं से जानवर बीमार पड़ सकते हैं, दूध उत्पादन घट सकता है और संक्रमण का खतरा भी कई गुना बढ़ सकता है.
ऐसे में पशुपालकों के लिए सतर्क रहना बेहद जरूरी हो जाता है. इसलिए पशुशालाओं में पक्के और छायादार शेड बनवाना चाहिए, साथ ही वेंटिलेशन सही रखना और साफ, ठंडा पानी हमेशा मुहैया कराना बहुत जरूरी है. अगर इस तेज तपिश में समय पर सही इंतजाम नहीं किए गए तो मवेशियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जानिए वो 5 जरूरी कदम, जो हर पशुपालक अपनी मवेशियों की सुरक्षा के लिए जरूर अपनाएं.
पशुशाला का तापमान नियंत्रित करें
गर्मी में पशुओं को लू से बचाना सबसे जरूरी है. क्योंकि इससे उनकी सेहत और दूध उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. ऐसे में सबसे पहले पशुशाला को हवादार और साफ-सुथरा रखें. यदि हवा का बहाव ठीक नहीं होगा या गंदगी रहेगी तो पशुओं को तकलीफ होगी और बीमारियां बढ़ सकती हैं. इसके लिए छत पर चार से छह इंच मोटी घास की परत बिछाएं ताकि धूप अंदर न जाए और तापमान नियंत्रित रहे. यदि छत टीन की है तो उसे सफेद रंग से रंग दें. क्योंकि यह सूरज की किरणों को परावर्तित करता है. इस स्थिति में ध्यान देने की बात यह है कि पशुओं को खुली जगह दें और भीड़ न लगाएं ताकि वे आराम से रहें.
हरा चारा बढ़ाएं औकर सूखा चारा कम करें
एक्सपर्टों की माने तो गर्मी में पशु सूखा चारा कम खाते हैं क्योंकि इससे शरीर गर्म होता है. इसलिए पशुओं को हरा चारा खिलाएं, जिसमें 70-90 फीसदी पानी होता है और यह पेट भी भरता है और प्यास भी बुझाता है. इस स्थिति में मूंग, मक्का, बरसीम या लोबिया का चारा देना बेहतर माना जाता है. यदि हरा चारा उपलब्ध न हो तो सूखे चारे को काटकर खिलाएं ताकि पाचन में आसानी हो.
ठंडे पानी से पशुओं को नियमित नहलाएं
गर्मी में पशुओं को ठंडक देने के लिए दिन में तीन से चार बार ठंडे पानी से नहलाना जरूरी है. इससे लू का असर कम होगा. खासकर भैंसों को पानी में डुबकी लगवाएं ताकि वे राहत महसूस करें. यदि तालाब या पोखर पास हो तो भैंसों को वहां भी छोड़ सकते हैं, इससे गर्मी से राहत मिलेगी और दूध उत्पादन भी बना रहेगा.
पिलाने के लिए पानी ठंडा और साफ हो
गर्मी में पशुओं की भूख कम हो जाती है और प्यास बढ़ती है. इसलिए दिन में कम से कम तीन बार पानी पिलाएं. पानी ठंडा और साफ हो. पशुपालकों के अनुसार इस स्थिति में पानी में हल्का सा नमक और आटा मिलाएं, ताकि पशुओं में ताकत बनी रहे . ऐसे में ध्यान देने की बात यह है कि पानी की टंकी छाया में रखें और पाइप भी धूप से बचाएं ताकि पानी ठंडा बना रहे.
लू से बचाव के लिए खास इंतजाम करें
लू से पशुओं को बचाना आवश्यक है क्योंकि इससे उनका दूध उत्पादन घटता है और वे कमजोर हो जाते हैं. पशुशाला के पास छायादार पेड़ लगाएं ताकि पशुओं को ठंडक मिले. इसमें ध्यान देने की बात यह है कि दोपहर के समय पशुओं को बाहर चराने न ले जाएं. यदि किसी पशु को लू लग जाए तो उसे तुरंत ठंडी जगह पर ले जाएं और पशु चिकित्सक से संपर्क करें.