पशु खुश तो दूध भरपूर, जानें उत्पादन बढ़ाने का सीधा फॉर्मूला

जब पशु तनावमुक्त माहौल में रहते हैं और तय समय पर दूध निकाला जाता है तो दूध उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में प्राकृतिक रूप से बढ़ोतरी होती है.

नोएडा | Updated On: 15 May, 2025 | 06:22 PM

कई बार किसान दवाओं, सप्लीमेंट्स और इंजेक्शनों पर खर्च कर देते हैं. लेकिन दूध का उत्पादन नहीं बढ़ता. इसकी असली वजह होती है, पशु का तनाव. जब गाय भैंस सुकून में होती हैं, माहौल शांत होता है और समय तय होता है, तब दूध खुद ब खुद बढ़ता है. ये तनावमुक्त पशु न सिर्फ ज्यादा दूध देता है, बल्कि उसकी क्वालिटी भी बेहतर होती है.

पशु के मूड का सीधा असर दूध पर

पशुपालको के अनुसार जब गाय या भैंस शांत वातावरण में रहती है, आसपास शोर- शराबा नहीं होता और उसे आराम करने का पूरा मौका मिलता है , तब उसका शरीर पूरी तरह से संतुलित रहता है. यही संतुलन दूध के बहाव में मदद करता है. वहीं तनाव में रहने वाले पशु न तो चैन से चारा खा पाते हैं, न आराम कर पाते हैं. ऐसे में इसका सीधा असर उनके दूध के पैमाने पर दिखता है.

भोजन पचने के बाद आता है असली फायदा

एक्सपर्ट की मानें तो शाम के वक्त, जब पशु दिनभर का आहार खा चुका होता है, उसका पाचन तंत्र सक्रिय होकर पोषण को थनों तक पहुंचा चुका होता है. यही वजह है कि शाम को दूध निकालने पर दूध की मात्रा में अंतर साफ नजर आता है. साथ ही तापमान भी इस समय थोड़ा ठंडा होता है, जो पशु को आरामदायक स्थिति में रखता है.

दूध निकालेन का सही समय

दूध निकालने का अगर कोई तय समय न हो और यह कभी भी कर दिया जाए तो इससे दूध की मात्रा घट सकती है. थनों में दूध का भराव एक प्रक्रिया है, जो समय के साथ पूरी होती है. अगर आप जल्दी या देर से दुहते हैं तो थन पूरी तरह नहीं भरते. इससे न केवल दूध कम आता है, बल्कि पशु को भी बेचैनी होती है, जो आगे जाकर उत्पादन पर असर डालती है.

सुबह मिलता है बेहतर क्वालिटी

रातभर के आराम के बाद पशु का शरीर पूरी तरह से रीफ्रेश होता है. यही वजह है कि सुबह के समय सूरज चढ़ने से कुछ देर पहले या बाद में दूध निकालना सबसे फायदेमंद होता है. क्योंकि इस समय पशु का मूड सबसे अच्छा होता है, थन में भराव पूरा होता है और गुणवत्ता भी बेहतर मिलती है.

Published: 15 May, 2025 | 06:22 PM