मॉनसून में फायदे का सौदा है भिंडी की खेती, कम लागत में होगी 100 क्विंटल तक पैदावार

भिंडी की फसल लगाने से पहले किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे खेत की 3 से 6 बार अच्छे से गहरी जुताई कर लें. ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो सके. इसके बाद मिट्टी में 100 से 200 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 11 Jul, 2025 | 10:59 AM

मॉनसून सीजन आते ही किसान बारिश वाली फसलों की बुवाई शुरु कर देते हैं. बरसात में उगाई जाने वाली फसलों से किसानों को दोहरा लाभ होता है. इक तो उन्हें उत्पादन अच्छा मिलता है जिससे उनकी कमाई बढ़ती है. दूसरा उन्हें सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी की जरूरत नहीं होती, जिससे पानी की भी बचत होती है. बारिश में कई तरह की फसलें, सब्जियां, फल, फूल उगाए जा सकते हैं. बात करें अगर सब्जियों की तो सब्जियों में भिंडी भी ऐसी एक सब्जी है जिसकी खेती किसान मॉनसून सीजन में करते हैं और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इसलिए भिंडी की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होती है.

कम समय में तैयार होती है फसल

कई अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भिंडी एक ऐसी फसल है जो कम समय में पककर तैयार हो जाती है. भींडी की मांग बाजार में सालभर बनी रहती है, और खेती में कम लागत के कारण किसान बड़े पैमाने पर भिंडी की खेती करते हैं. बता दें कि भिंडी से बेहतर उपज पाने के लिए मॉनसून में इसकी खेती करना बेस्टे होता है. बात करें भिंडी से होने वाली पैदावार की तो खरीफ सीजन में भिंडी की प्रति हेक्टेयर फसल से किसान औसतन 100 क्विंटल तक पैदावार कर सकते हैं.भिंडी की फसल बुवाई के करीब 45 से 60 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.

ऐसे करें खेत की तैयारी

भिंडी की फसल लगाने से पहले किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे खते की 3 से 6 बार अच्छे से गहरी जुताई कर लें. ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो सके. इसके बाद मिट्टी में 100 से 200 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं और साथ ही नाइट्रोजन, फॉस्फरोस और पोटैशियम , तीनों को 50 से 100 किलोग्राम मात्रा में मिट्टी में मिलाएं. ताकि मिट्टी को सभी जरूरी पोषक तत्व मिल सकें.

बुवाई से पहले बीजों का उपचार है जरूरी

भिंडी के बीजों को बोने से पहले उनका उपचार करना बेहद जरूरी है. बीजों को उपचार करने के लिए 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखें. इसके बाद 2 किलोग्राम बीजों को प्रकि किलोग्राम कार्बेन्डिजम या फिर 5 किलोग्राम बीज के उपचार के लिए 1 किलोग्राम इमिडाक्लोप्रिड दवा का इस्तेमाल करें. बीजों के उपचार के बाद उन्हें मिट्टी में कतारों में रोपें. ध्यान रहे कतारों के बीच की दूरी 1 से 3 सेमी होनी चाहिए और पौधों से पौधों की दूरी 12 से 20 सेमी होना चाहिए. ध्यान रहे कि बीजों की बुवाई के बाद समय पर उनकी सिंचाई करना बेहद जरूरी है. बता दें कि खरीफ सीजन में मिट्टी की नमी जांचकर जरूरत के अनुसार ही सिंचाई करें. खरीफ सीजन में 3 से 4 बार निराई-गुड़ाई जरूर करें.

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Published: 11 Jul, 2025 | 06:00 AM

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