Mandi Rate: पवित्र कार्तिक महीने की शुरुआत होते ही सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो गई है. खासकर ओडिशा की राजधानी भूनेश्वर में हरी सब्जियां कुछ ज्यादा ही महंगी हो गई हैं. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. महंगाई का आलम यह है कि शुक्रवार को भूनेश्वर के खुदरा मार्केट में हरी सब्जियां 70 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिकीं. सबसे महंगी सब्जी बीन्स रही, जिसकी कीमत 100 से 120 रुपये प्रति किलो थी. मीडियम साइज की फूलगोभी, जो आसानी से मिल रही है, 70 रुपये प्रति पीस में बिक रही थी. हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि कार्तिक महीने के बाद सब्जियों के रेट में गिरावट शुरू हो जाएगी. तब तक सब्जियों की आवक भी मार्केट बढ़ जाएगी.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पवित्र कार्तिक महीने की शुरुआत होते ही जब ज्यादातर लोग शाकाहारी भोजन अपनाते हैं. इससे डिमांड बढ़ने पर सब्जियों की कीमतें बढ़ गईं. फिलहाल, रिटेल मार्केट में परवल, करेला और भिंडी 70 से 80 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं. जबकि बैंगन की कीमत क्वालिटी के हिसाब से 70 रुपये या उससे ज्यादा रही. वहीं, टमाटर 50 रुपये प्रति किलो और तोरई 70 रुपये किलो में बेची जा रही थी. साथ ही आलू की कीमत भी 20 से 22 रुपये प्रति किलो रही.
इन राज्यों से सब्जियों की सप्लाई
व्यापारियों का कहना है कि कार्तिक महीने में सब्जियों की खपत काफी बढ़ जाती है और इस बार बारिश के चलते सप्लाई पर असर पड़ा है, जिससे दाम भी तेजी से बढ़े हैं. कुछ सब्जियां जैसे तोरई, भिंडी, करेला, खीरा, चिचिंडा और कुछ हद तक फूलगोभी, नयागढ़, पुरी, अथगढ़, ढेंकनाल और अंगुल जैसे ओडिशा के जिलों से आती हैं. लेकिन पत्तागोभी, बीन्स, टमाटर, मिर्च, पपीता और कद्दू जैसी सब्जियां कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से लाई जाती हैं.
इस वजह से बढ़ी सब्जियों की मांग
यूनिट-1 की सब्जी विक्रेता संघ के सदस्य संतोष स्वैन ने कहा कि कार्तिक महीने में सब्जियों की मांग बाकी महीनों की तुलना में काफी ज्यादा होती है. लेकिन बारिश ने ओडिशा और अन्य राज्यों में सप्लाई चेन को प्रभावित किया है, जिससे कटक और भुवनेश्वर में जरूरत से कम सब्जियां आ रही हैं और इसी वजह से दाम बढ़ गए हैं.कटक के चात्रा बाजार के एक दुकानदार प्रभात सतपथी ने कहा कि अगर बारिश रुक जाए तो कीमतें धीरे-धीरे कम हो सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस समय खराब होने वाली सब्जियों की मात्रा भी ज्यादा है, इसलिए दुकानदार कम माल खरीद रहे हैं. आमतौर पर खुदरा बाजार में सब्जियां थोक दाम से 20 से 30 प्रतिशत महंगी होती हैं.