पंजाब ने पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 83 फीसदी की कमी लाने में कामयाबी हासिल की है. यहां के रणसिंह कला गांव के किसानों ने पिछले 6 साल से पराली नहीं जलाई है. पराली का प्रबंधन किया है और उसे खाद बनाने के साथ अन्य तरह से इस्तेमाल किया है. यहां के किसानों की इस पहल के चलते खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ी है और उर्वरकों के इस्तेमाल में 30 फीसदी की कमी आई है. पंजाब दौरे पर पहुंचे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बातें किसानों से बातचीत के बाद कहीं.
6 साल से पराली नहीं जलाने वाले गांव पहुंचे शिवराज सिंह
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज पंजाब के दौरे पर हैं और वह मोगा जिले पहुंचे हैं. इसके बाद वह जालंधर के किसानों से भी बातचीत करेंगे. मोगा के रणसिंह कला गांव के किसानों से बातचीत की और उन्होंने जाना कि इस गांव के किसानों ने बीते 6 साल से धान की पराली नहीं जलाई है. कृषि मंत्री ने बताया कि आज मुझे पंजाब की पवित्र धरा पर आने का सौभाग्य मिला है. यहां का रणसिंह कलां गांव पराली प्रबंधन में एक आदर्श मॉडल है.
पराली नहीं जलाने से मिट्टी की ताकत बढ़ी और खाद इस्तेमाल घटा
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि गांव के किसानों ने पिछले 6 वर्षों से पराली नहीं जलाई है, जिससे मिट्टी अधिक उपजाऊ हुई है और रासायनिक खाद का उपयोग 30 फीसदी तक कम हो गया है. उन्होंने गांव के सरपंच और अन्य किसानों से बातचीत की और उनके प्रयास की सराहना की. उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं ने पूरे देश को चिंतित किया. पराली जलने के कारण खेत तो साफ हो जाता था, लेकिन मित्र कीट भी जल जाते थे और पॉल्यूशन की भी समस्या पैदा होती थी.
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पंजाब में पराली जलाने की 83 फीसदी कम हुईं घटनाएं
कृषि मंत्री ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 83 फीसदी की कमी आई है. कृषि मंत्री ने कहा कि यहां जो अभी आंकड़े बता रहे थे लगभग पहले 83,000 पराली जलाने की घटनाओं होती थीं वो घटकर 5000 के आसपास पहुंच गई हैं.
पराली जलाने से बचने के विकल्प बताए
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लोग पूछते हैं कि पराली न जलाएं तो क्या करें, विकल्प क्या है. इसके लिए किसानों को खेत साफ करके गेहूं की बुवाई करनी चाहिए. रणसिंह कलां गांव के किसानों की तरह पराली को सीधे खेत में मिलाए और डारेक्ट सीडिंग करें.
आलू किसानों की समस्याएं, खेती और उत्पादन जाना
केंद्रीय कृषि मंत्री जालंधर में मनरेगा के भाई-बहनों के साथ बैठकर बातचीत करेंगे. इसके साथ ही ग्रामीण विकास विभाग के साथियों के साथ विभाग की योजनाओं की समीक्षा करेंगे. बाढ़ बारिश से ग्रामीणों के क्षतिग्रस्त मकानों के निर्माण और मनरेगा कार्यों की जानकारी लेंगे. जालंधन के बादशाहपुर में आलू उत्पादक किसानों से भी वह मिलेंगे और आलू की खेती, समस्याओं और उत्पादन की जानकारी लेंगे.