चीनी मांसाहारी है या शाकाहारी? हकीकत जानकर चौंक जाएंगे आप

क्या आपने कभी सुना है कि यही चीनी मांसाहारी हो सकती है? सुनने में यह बात वाकई हैरान करने वाली लगती है. बहुत से लोग सोशल मीडिया पर यह दावा करते हैं कि सफेद चीनी बनाने में जानवरों की हड्डियों का इस्तेमाल होता है. तो क्या इसमें सचाई है या यह सिर्फ एक अफवाह?

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 7 Sep, 2025 | 09:21 PM

हम सबकी रोजमर्रा की जिंदगी में चीनी एक अहम हिस्सा है. सुबह की चाय हो, नाश्ते का दूध हो या फिर किसी त्यौहार का मीठा पकवान, हर जगह चीनी का इस्तेमाल होता है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि यही चीनी मांसाहारी हो सकती है? सुनने में यह बात वाकई हैरान करने वाली लगती है. बहुत से लोग सोशल मीडिया पर यह दावा करते हैं कि सफेद चीनी बनाने में जानवरों की हड्डियों का इस्तेमाल होता है. तो क्या इसमें सचाई है या यह सिर्फ एक अफवाह? चलिए जानते हैं चीनी की पूरी कहानी.

चीनी कैसे बनती है?

हम रोजाना जो चीनी इस्तेमाल करते हैं, वह दरअसल गन्ने से बनाई जाती है. गन्ने का रस निकालकर उसे अच्छी तरह साफ किया जाता है और फिर बड़े-बड़े बर्तनों में उबालकर गाढ़ा किया जाता है. इसके बाद धीरे-धीरे उस गाढ़े रस से क्रिस्टल (दानेदार रूप) बनते हैं, जिन्हें सुखाकर और पैक करके बाजार में बेचा जाता है. यही क्रिस्टल हमें रोजमर्रा की जिंदगी में “सफेद चीनी” के रूप में नजर आते हैं.

यहां तक की प्रक्रिया पूरी तरह शाकाहारी है, क्योंकि गन्ना एक पौधा है. लेकिन असली विवाद तब खड़ा होता है जब इस चीनी को और ज्यादा चमकदार और आकर्षक बनाने के लिए कुछ देशों में इसे बोन चार (जानवरों की हड्डियों से बनी राख) से फिल्टर किया जाता है. इसी वजह से कई लोग मानते हैं कि सफेद चीनी मांसाहारी हो सकती है.

चीनी दरअसल गन्ने से बनाई जाती है, फोटो क्रेडिट-mint

बोन चार क्या होता है?

बोन चार का मतलब है जानवरों की हड्डियों को जला कर बनाई गई राख. यह गहरे काले रंग का पाउडर जैसा पदार्थ होता है. कुछ उद्योग इसका इस्तेमाल चीनी को फिल्टर और शुद्ध करने में करते हैं, ताकि चीनी और ज्यादा सफेद, चमकदार और देखने में आकर्षक लगे.

अमेरिका, चीन और कुछ अन्य देशों में आज भी चीनी की प्रोसेसिंग में बोन चार का प्रयोग किया जाता है. यही वजह है कि कई लोग सफेद चीनी को “नॉन-वेज” या “मांसाहारी” मानते हैं और इसे खाने से परहेज करते हैं.

अब सबसे बड़ा सवाल- क्या भारत में चीनी मांसाहारी है?

इसका सीधा जवाब है… नहीं.

भारत की ज्यादातर चीनी मिलों में बोन चार का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होता. यहां पर चीनी को शुद्ध और साफ करने के लिए या तो लकड़ी, नारियल का कोयला या फिर सिंथेटिक फिल्टर का उपयोग किया जाता है.

यानी भारत में बनने वाली चीनी को पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी माना जा सकता है. फिर भी, अगर आप 100 फीसदी सुनिश्चित रहना चाहते हैं, तो आप ऑर्गेनिक शुगर, अनरिफाइन्ड शुगर, या फिर प्राकृतिक विकल्प जैसे गुड़, खजूर की चीनी, नारियल चीनी आदि चुन सकते हैं.

भारत में बनने वाली चीनी को पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी माना जा सकता है, फोटो क्रेडिट- pexels

सफेद चीनी बनाम कच्ची चीनी

सफेद चीनी (Refined Sugar): यह ज्यादा चमकदार और दानेदार होती है. आमतौर पर पैकेट में यही मिलती है.

कच्ची या अनरिफाइन्ड चीनी: जैसे कि खांड, ब्राउन शुगर, डेमेरारा शुगर या मुस्कोवाडो शुगर. इनका रंग हल्का भूरा या गहरा भूरा होता है और स्वाद भी अलग होता है. ये ज्यादा प्राकृतिक मानी जाती हैं.

क्या सफेद चीनी सेहत के लिए हानिकारक है?

भले ही भारत की चीनी शाकाहारी है, लेकिन ज्यादा चीनी खाने से मोटापा, डायबिटीज, दांतों की समस्या और हार्ट डिजीज जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) भी सलाह देता है कि रोज की कुल कैलोरी का सिर्फ 5-10 फीसदी ही चीनी से आना चाहिए.

गुड़.. भारत का पारंपरिक मीठा विकल्प. इसमें आयरन और मिनरल्स ज्यादा होते हैं, फोटो क्रेडिट-pexels

शुद्ध शाकाहारी और हेल्दी विकल्प

अगर आपको सफेद चीनी पर शक है, या फिर आप सेहत के लिहाज से बेहतर विकल्प चाहते हैं तो ये विकल्प अपना सकते हैं-

गुड़: भारत का पारंपरिक मीठा विकल्प. इसमें आयरन और मिनरल्स ज्यादा होते हैं.

शहद: प्राकृतिक मिठास, साथ ही एंटी-बैक्टीरियल गुण भी.

खजूर शुगर या खजूर सिरप: खजूर से बनी मिठास, जिसमें फाइबर और मिनरल्स भरपूर.

कोकोनट शुगर: नारियल के फूलों से बनाई जाती है, इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है.

मेपल सिरप: खासकर विदेशों में लोकप्रिय, लेकिन भारत में भी अब आसानी से मिल जाता है.

डेमेरारा शुगर और मुस्कोवाडो शुगर: ये कच्ची चीनी के प्रकार हैं, जो ज्यादा प्रोसेस नहीं की जातीं.

चीनी को लेकर मिथक और सच

मिथक: भारत की चीनी मांसाहारी है.

सच: भारत में बोन चार का इस्तेमाल नहीं होता, ज्यादातर चीनी शुद्ध शाकाहारी है.

मिथक: ब्राउन शुगर ज्यादा हेल्दी है.

सच: ब्राउन शुगर भी ज्यादातर चीनी ही होती है, बस इसमें थोड़ा गुड़ या शीरा मिलाया जाता है.

मिथक: चीनी पूरी तरह छोड़ देने से सेहत बहुत अच्छी हो जाती है.

सच: संतुलन जरूरी है. बहुत ज्यादा चीनी हानिकारक है, लेकिन फल, दूध जैसी प्राकृतिक शुगर शरीर के लिए जरूरी है.

आप रोज चाय या मिठाइयों में इस्तेमाल करते हैं, उसमें हड्डियों का कोई इस्तेमाल नहीं होता, फोटो क्रेडिट-pexels

खरीदते समय रखें ध्यान

अब यह साफ है कि भारत में मिलने वाली चीनी आमतौर पर शाकाहारी होती है. यानी जो आप रोज चाय या मिठाइयों में इस्तेमाल करते हैं, उसमें हड्डियों का कोई इस्तेमाल नहीं होता. हां, अगर आप विदेशों में रहते हैं या वहां से पैक्ड चीनी खरीदते हैं तो पैकेट पर ध्यान दें.

अगर आप पूरी तरह आश्वस्त रहना चाहते हैं तो ऑर्गेनिक, अनरिफाइन्ड या प्राकृतिक विकल्प अपना सकते हैं. साथ ही, चीनी का संतुलित सेवन करना सबसे जरूरी है.

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