Fish Farming : सर्दियों का मौसम आते ही तालाब का पानी तेजी से ठंडा होने लगता है. यही ठंड किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है, क्योंकि तापमान गिरते ही मछलियों का खाना कम हो जाता है, उनकी गति धीमी पड़ जाती है और कई बार बीमारी फैलने लगती है. कई किसान तो ठंड के मौसम में अपनी मछलियों का 50 से 60 प्रतिशत तक नुकसान झेल लेते हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर कुछ आसान उपाय सही समय पर अपनाए जाएं, तो सर्दियों में भी मछली पालन सुरक्षित और मुनाफेदार बनाया जा सकता है.
पानी का pH स्तर सबसे जरूरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों में सबसे जरूरी है तालाब के पानी का pH स्तर सही बनाए रखना. मछलियों के लिए 7 से 8 pH सबसे आदर्श माना जाता है. अगर pH बिगड़ जाए, तो मछलियों की सेहत पर तुरंत असर पड़ता है. इसलिए किसान हर 10-15 दिन में तालाब में चूना जरूर डालें. 1 एकड़ तालाब के लिए करीब 100 किलो चूना काफी होता है. चूना पानी को शुद्ध करता है और मछलियों के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाता है. इसके साथ ही तालाब को कवक संक्रमण से बचाने के लिए कॉपर सल्फेट का इस्तेमाल करना जरूरी है. यह पानी में मौजूद हानिकारक फफूंद और कीड़ों को खत्म करता है और मछलियों को बीमार होने से बचाता है.
पानी की सफाई बेहद जरूरी
सर्दियों में पानी की सफाई पर खास ध्यान देना चाहिए. अगर तालाब का पानी गंदा है, तो मछलियां तुरंत बीमार पड़ सकती हैं. पानी को साफ रखने के लिए किसान पोटैशियम परमैंगनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह बैक्टीरिया और कीटों को नष्ट करता है और पानी को पूरी तरह साफ रखता है. कई किसान रासायनिक दवाओं की जगह हल्दी जैसे प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करते हैं, जिससे कीटों की समस्या पर नियंत्रण रहता है.
सर्दियों में असली परेशानी पानी के तापमान की वजह से होती है. तापमान बहुत कम हो जाने पर मछलियां खाती कम हैं और धीरे-धीरे कमजोर पड़ जाती हैं. इसलिए किसानों को चाहिए कि वे पानी का तापमान नियमित रूप से जांचते रहें. जरूरत पड़ने पर तालाब को ऊपर से तिरपाल या प्लास्टिक शीट से ढक दें. इससे पानी का तापमान अचानक नहीं गिरता और मछलियां ठंड से सुरक्षित रहती हैं.
मछलियों की सेहत की नियमित जांच जरूरी
जैसे ठंड में इंसानों को सर्दी-जुकाम हो जाता है, वैसे ही मछलियां भी बीमार पड़ सकती हैं. मछलियों को रोजाना देखकर उनकी चाल, रंग और खाने की क्षमता पर ध्यान दें. अगर कोई मछली अलग तैर रही है, ऊपर आ रही है या सुस्त है, तो उसे तुरंत बाकी मछलियों से अलग कर दें. बीमारी फैलने से पूरा तालाब प्रभावित हो सकता है. अगर लक्षण ज्यादा गंभीर हों, तो विशेषज्ञ या मत्स्य अधिकारी से सलाह लेना जरूरी है.