तालाब में दरारें ही नहीं, मछलियों की सेहत का राज भी छुपा है..जानिए क्यों जरूरी है सुखाना

तालाब को साल में एक बार पूरी तरह सुखाना जरूरी है, ताकि हानिकारक जीव नष्ट हों और मछलियों की सेहत बनी रहे. बीमार मछलियों से बचें और बिना सलाह दवा न लगाएं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 5 Jun, 2025 | 08:00 AM

अगर आप मछली पालन से अच्छा मुनाफा चाहते हैं तो सिर्फ मछलियों की देखभाल काफी नहीं है, तालाब का रखरखाव भी उतनी ही जरूरी है. एक स्वच्छ तालाब ही सेहतमंद और तेजी से बढ़ती मछलियों की गारंटी देता है. इसलिए तालाब की समय-समय पर सफाई और देखरेख को नजरअंदाज करना भारी नुकसान दे सकता है. बिना सही देखरेख के तालाब और मछलियों दोनों की सेहत खतरे में पड़ सकती है, जिससे आपकी उपज और मुनाफा दोनों प्रभावित होंगे.

साल में एक बार जरूर सुखाएं तालाब

फिश विशेषज्ञों की मानें तो हर तालाब को साल में कम से कम एक बार पूरा सुखाना चाहिए. सुखाने का मकसद सिर्फ गंदगी हटाना नहीं होता, बल्कि मिट्टी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया, फंगस और परजीवियों को भी नष्ट करना होता है. तालाब को तब तक सुखाना चाहिए जब तक उसकी सतह में दरारें न पड़ जाएं. यदि किसी कारण से तालाब को पूरी तरह सुखाना संभव न हो तो ब्लीचिंग पाउडर या चूने का इस्तेमाल कर जल की क्वालिटी को बेहतर बनाया जा सकता है.

बीमार मछलियों से रखें दूरी

मछली पालन में बीज यानी शुरुआती मछलियों की क्वालिटी सबसे अहम होती है. हमेशा स्वस्थ और प्रमाणित स्रोत से मछलियों की खरीदारी करें. क्योंकि बीमार मछलियों को तालाब में छोड़ने से संक्रमण तेजी से फैल सकता है. इसके अलावा, तालाब में संतुलित मात्रा में खाद डालना जरूरी है ताकि पोषक तत्वों की कमी न हो और मछलियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे. घोंघा, सीप, पशु या पक्षियों की एंट्री पर भी नियंत्रण रखें क्योंकि ये बीमारियों के वाहक बन सकते हैं.

बीमारी दिखे तो न करें खुद से इलाज

अगर मछलियों में कोई बीमारी या सुस्त दिखे तो बिना विशेषज्ञ की सलाह के दवा न डालें. गलत दवा पूरे तालाब को नुकसान पहुंचा सकती है. किसी भी इलाज या उपाय को शुरू करने से पहले फिशरी डिपार्टमेंट के विशेषज्ञ या पशु चिकित्सक से सलाह लें. सही समय पर किया गया इलाज न सिर्फ मछलियों की जान बचाता है बल्कि आपकी कमाई भी सुनिश्चित करता है. याद रखें, मछली पालन एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है और इसकी हर स्टेप में जानकारी और सतर्कता बेहद जरूरी है.

 

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Published: 5 Jun, 2025 | 08:00 AM

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