मछली पालन देश के कई हिस्सों में तेजी से उभरता हुआ व्यवसाय बन गया है. लेकिन इसके साथ कई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. खासकर संतुलित आहार की कमी और जल प्रदूषण के कारण मछलियों में दुर्बलता और रोगों का खतरा बढ़ गया है. इन समस्याओं का सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है और इससे आर्थिक नुकसान भी होता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि मछलियों के रोगों की समय रहते पहचान की जाए. इस समस्या से निपटने के लिए हरियाणा सरकार के मत्स्य पालन विभाग ने कुछ प्रभावी और सरल उपाय सुझाए हैं, जिनकी मदद से मछलियों को रोगों से बचाया जा सकता है और उत्पादन को सुरक्षित रखा जा सकता है.
मछलियों में बीमारी के प्रमुख लक्षण
मछलियों की सेहत बिगड़ने पर पहले उनके व्यवहार और शरीर में बदलाव नजर आते हैं. सबसे पहला संकेत होता है हलचल में सुस्ती आना, यानी मछलियां पहले की तरह सक्रिय नहीं रहतीं. इसके अलावा उनके शरीर पर सफेद या लाल रंग के दाग दिखाई देते हैं. इतना ही नहीं पंखों का सड़ना और शरीर का सूजना भी रोग के स्पष्ट लक्षण हैं. ऐसा होने पर मछलियां विकृत तरीके से तैरने लगती हैं और कई बार वे पानी की सतह के पास आकर सांस लेने की कोशिश करती हैं. उनकी चमड़ी ढीली होना और पंखों का सड़ना भी बीमारी की गंभीरता को दर्शाते हैं. ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उपाय करना आवश्यक होता है, वरना मछलियों की संख्या में भारी गिरावट आ सकती है.
बीमारी से बचाव के आसान उपाय
मछलियों की सेहत सुधारने के लिए सबसे जरूरी है तालाब की साफ-सफाई और उचित देखभाल. फिश विशेषज्ञों की माने तो तालाब को साल में एक बार तब तक सुखाना चाहिए जब तक उसमें दरारें न पड़ जाएं. अगर तालाब नहीं सूखता है तो उसमें बलीचिंग पाउडर या चूना डालकर जल की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है. इसके अलावा रोगग्रस्त मछलियों को तालाब में छोड़ना नुकसानदेह होता है, इसलिए केवल स्वस्थ बीज मछलियों का इस्तेमाल करें.
तालाब की सही देखभाल जरूरी
तालाब में उचित मात्रा में खाद का प्रयोग आवश्यक है ताकि पानी में पोषक तत्व संतुलित रहें. इससे मछलियों को जरूरी पोषण मिलता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. साथ ही तालाब में घोंघा, सीप, पशु-पक्षी आदि के आने पर रोक लगानी चाहिए क्योंकि ये रोग फैला सकते हैं. इसके अलावा नियमित अंतराल पर मछलियों के विकास की जांच करके समय पर समस्या का पता लगाना भी जरूरी है.
बीमार होने पर डॉक्टर की सलाह लें
मछलियों की बीमारी में बिना विशेषज्ञ की सलाह के औषधि का उपयोग जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए किसी भी दवा या उपचार को शुरू करने से पहले पशु चिकित्सक या मछली पालन विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. सही समय पर सही उपचार करने से मछलियों की सेहत में सुधार आता है और उत्पादन सुरक्षित रहता है.