Fish Farming: मछली पालन में बढ़ेगी पैदावार, जानिए कृत्रिम भोजन बनाने का तरीका

कृत्रिम भोजन से मछली तेजी से बढ़ती है और उनकी सेहत बेहतर रहती है. सही मात्रा और समय पर भोजन देने से मछली पालन में उत्पादन और लाभ दोनों बढ़ते हैं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 27 May, 2025 | 12:19 PM

मछली पालन में बेहतर उत्पादन के लिए उचित और पोषक आहार का बहुत बड़ा योगदान होता है. जैसे मुर्गी पालन में चूजों के लिए मुर्गीदाना बनाया जाता है, वैसे ही मछली के लिए भी खास तरह का कृत्रिम भोजन तैयार किया जाता है. इस कृत्रिम भोजन के उपयोग से मछली तेजी से बढ़ती है और उनकी सेहत भी बेहतर रहती है. जानिए कैसे बनाया जाता है यह पोषक आहार और इसे देने का सही तरीका.

कृत्रिम भोजन बनाने के लिए जरूरी सामग्री

मछली के कृत्रिम भोजन में मुख्य रूप से चावल की भूसी और सरसों की खल का उपयोग किया जाता है. दोनों को समान मात्रा में मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है. इसके अलावा, इस मिश्रण में मछली का चूरा भी मिलाया जाता है, जिससे भोजन के पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है और मछली इसे अधिक रुचि से खाती है. ग्रास मछलियों को छोड़कर बाकी पांच प्रकार की मछलियों के लिए यह भोजन उपयुक्त होता है. ग्रास मछलियों के लिए अतिरिक्त रूप से जल में उगने वाले हाइड्रिला, वैलिसनेरिया जैसे पौधे और बरसीन जैसे चारे का भी प्रावधान किया जाता है.

कृत्रिम भोजन देने का सही तरीका

कृत्रिम भोजन देने के लिए प्रतिदिन एक निश्चित समय निर्धारित करें. विशेषज्ञों के अनुसार, दिन में कम से कम 1 फीसदी से अधिकतम 5 फीसदी तक मछलियों के कुल वजन के हिसाब से भोजन दिया जाना चाहिए. उदाहरण के तौर पर, यदि तालाब में कुल मछलियों का वजन 100 किलोग्राम है तो प्रतिदिन 1 से 5 किलोग्राम तक कृत्रिम भोजन देना चाहिए. भोजन का वितरण एक समय पर करें ताकि मछली भोजन को आसानी से खा सके और पानी भी प्रदूषित न हो.

तालाब की मछलियों का वजन और संख्या मापें

किसानों को चाहिए कि वे 15-15 दिन के अंतराल पर तालाब में जाल लगाकर मछलियों की संख्या और औसत वजन का आंकलन करते रहें. इससे मछली की बढ़त का सही पता चलता है और भोजन की मात्रा भी उसी के अनुसार समायोजित की जा सकती है. इससे मछली पालन में आर्थिक लाभ भी बढ़ता है और संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित होता है.

कृत्रिम भोजन से मछली पालन में सुधार

कृत्रिम भोजन के उपयोग से मछलियों की वृद्धि दर तेज होती है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. इससे मछली पालन की गुणवत्ता में सुधार आता है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा, तालाब का पानी भी ज्यादा प्रदूषित नहीं होता क्योंकि उचित मात्रा में और सही समय पर भोजन देने से अतिरिक्त भोजन पानी में नहीं रहता. इसलिए कृत्रिम भोजन का उपयोग हर मछली पालक के लिए लाभकारी साबित हो सकता है.

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