वैज्ञानिकों ने ईजाद की कैंसर से लड़ने वाली चावल की खास किस्म, भारत-चीन को होगा फायदा

वैज्ञानिकों ने कुछ रंगीन चावल की किस्मों में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण खोजे हैं. इस खोज से ऐसे फंक्शनल फूड और हेल्थ सप्लिमेंट्स बनाने की दिशा में नई उम्मीद जगी है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 2 Jun, 2025 | 11:36 AM

आने वाले समय में खास किस्म के चावल खाने से कैंसर के मरीजों को फायदा हो सकता है. क्योंकि फिलीपींस स्थित इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) के वैज्ञानिकों ने चावल की कुछ ऐसी किस्में विकसित की हैं जिनमें एंटी-ऑक्सीडेंट और कैंसर से लड़ने वाले गुण पाए गए हैं. यह रिसर्च ‘Food Hydrocolloids and Health’ नाम की वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित हुई है. यह खोज खासतौर पर एशियाई देशों जैसे भारत और चीन के लिए अहम मानी जा रही है, जहां कोलोरेक्टल (आंतों से जुड़ा) कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने दुनिया भर से जुटाए गए 1.32 लाख चावल की किस्मों की जांच की और उनमें से छह रंगीन (pigmented) चावल की किस्मों को चुना, जिनमें सबसे ज्यादा एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण पाए गए. IRRI में कंज़्यूमर-ड्रिवन ग्रेन क्वालिटी एंड न्यूट्रिशन सेंटर के प्रमुख डॉ. नेसे श्रीनिवासुलु ने कहा कि पहले 800 रंगीन चावल की किस्में चुनी गईं. फिर उनमें मौजूद पोषक तत्वों और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों की गहराई से जांच की गई. इसके बाद इन छह खास चावल की किस्मों से निकाले गए अर्क (extract) को आंत और स्तन कैंसर की कोशिकाओं पर टेस्ट किया गया.

चावल की 6 किस्मों में पाए गए एंटी-ऑक्सीडेंट गुण

इस खोज से ऐसे फंक्शनल फूड और हेल्थ सप्लिमेंट्स बनाने की दिशा में नई उम्मीद जगी है, जो इंसानी सेहत को बेहतर बना सकते हैं. डॉ. नेसे श्रीनिवासुलु इस रिसर्च पेपर के मुख्य लेखक हैं. उन्होंने कहा कि 800 चावल की किस्मों में से सिर्फ 6 में ही बहुत अधिक मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए गए. इनकी तुलना ब्लूबेरी और चिया सीड्स जैसे सुपरफूड्स से की जा सकती है. जब इन खास किस्मों से निकाले गए अर्क को कैंसर की कोशिकाओं पर टेस्ट किया गया, तो उनमें भी जबरदस्त एंटी-कैंसर प्रभाव देखा गया.

सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाया

उन्होंने कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इन चावल के अर्क ने सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाया, जबकि स्वस्थ कोशिकाएं सुरक्षित रहीं. यह बात इन्हें पारंपरिक कीमोथेरेपी दवाओं से अलग बनाती है, जो अक्सर स्वस्थ कोशिकाओं पर भी असर डालती हैं और साइड इफेक्ट्स का कारण बनती हैं. इससे यह संभावना बनती है कि ये प्राकृतिक यौगिक ज्यादा सुरक्षित हो सकते हैं. चावल की भूसी से बने मल्टी-न्यूट्रिएंट सप्लीमेंट पर इन विट्रो टेस्ट भी किए गए, जिससे पता चला कि इसके ज्यादातर एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण पेट में अच्छे से अवशोषित हो जाते हैं.

मल्टी-न्यूट्रिएंट सप्लीमेंट तैयार किया गया

डॉ. श्रीनिवासुलु ने कहा कि अगला अहम कदम यह है कि इन अर्कों का असर जीवित जीवों (जैसे चूहों) पर टेस्ट किया जाए. अगर कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित चूहों पर अच्छे नतीजे मिलते हैं, तो फिर बायोमेडिकल एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर इंसानों पर भी असर देखने के लिए ट्रायल्स किए जाएंगे. वैज्ञानिकों की टीम ने जिन खास चावल की किस्मों को चुना, उनकी भूसी से जरूरी पोषक तत्वों को सुरक्षित तरीके से निकाला, जिसमें एथनॉल जैसे सेफ सॉल्वेंट का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद इस अर्क को माइक्रोएन्कैप्सुलेशन तकनीक से स्टेबल किया गया, जिससे एक मल्टी-न्यूट्रिएंट सप्लीमेंट तैयार किया गया.

 

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Published: 2 Jun, 2025 | 11:34 AM

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