Wheat sowing: धान की कटाई के साथ ही किसान गेहूं की बुवाई में जुट गए हैं. हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान गेहूं की बुवाई करने के लिए खेत की जुताई कर रहे हैं. लेकिन बुवाई करने से पहले किसानों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा. क्योंकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बुवाई के समय किसान एक आम गलती कर देते हैं, जिससे फसल की उपज और गुणवत्ता पर असर पड़ता है. ऐसे में कई बार किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. लेकिन इसके बावजूद किसान इस आम गलती की पहचान नहीं कर पाते हैं. तो आइए आज जानते हैं किसानों को गेहूं की बुवाई करने से पहले कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए.
एक्सपर्ट के मुताबिक, अधिकतर किसान सिंड्रिल मशीन में गेहूं का बीज और खाद एक साथ डालते हैं, जो कि गलत तरीका है. ऐसा करने से खाद के रासायनिक तत्व बीज को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे बीज ठीक से अंकुरित नहीं होते या कमजोर पौधे निकलते हैं. इसका सीधा असर पैदावार पर पड़ता है और किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. साथ ही एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि अब बाजार में दो पेटी वाली सिंड्रिल मशीनें आ चुकी हैं, जिनकी खासियत यह है कि इनमें एक पेटी में बीज और दूसरी में खाद डाली जाती है. बुवाई के वक्त बीज और खाद अलग-अलग गहराई पर मिट्टी में जाते हैं, जिससे बीज को पर्याप्त पोषण मिलता है और अंकुरण भी एक जैसा होता है.
इस तरह करें गेहूं की बुवाई
अगर जिन किसानों के पास यह मशीन नहीं है, वे पहले खेत में खाद को बराबर फैलाएं और फिर गेहूं की बुवाई करें. इससे बीज सीधे खाद के संपर्क में नहीं आएगा, जड़ें मजबूत बनेंगी और पौधा ज्यादा हरा-भरा और स्वस्थ रहेगा. उन्होंने यह भी बताया कि बीज और खाद को एक साथ डालने से एक और दिक्कत होती है. क्योंकि एक साथ खाद और बीज का छिड़काव करने पर कुछ हिस्सों में ज्यादा और कुछ में कम खाद पहुंचती है. इसका असर फसल की बढ़वार पर पड़ता है. कुछ पौधे जल्दी बढ़ते हैं, तो कुछ कमजोर रह जाते हैं, जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है.
गेहूं के लिए खतरनाक हैं ये बीमारी
विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि गेहूं की फसल में कीट बहुत तेजी से लगते हैं. आमतौर पर कंडुआ, करनाल बंट, झुलसा, पीला और काला रतुआ, झोंका रोग और जड़ गलन जैसी बीमारियां लगती हैं. साथ ही गंधी बग, दीमक, अलसी की सुंडी, लाही और जसिड जैसे कीट भी फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए किसानों के लिए जरूरी है कि वे बुवाई से पहले इन बीमारियों और कीटों की सही जानकारी लें और बीजों का उपचार जरूर करें, ताकि फसल सुरक्षित और अच्छी हो सके.