पशुपालन में रफेजेस का कमाल, कम खर्च में ज्यादा दूध और सेहत शानदार

रफेजेस जैसे घास, भूसा, पुआल और साइलेंज पशुओं के पाचन को बेहतर बनाते हैं. ये प्राकृतिक आहार न सिर्फ उन्हें स्वस्थ रखते हैं बल्कि दूध उत्पादन भी बढ़ाते हैं. सस्ता, टिकाऊ और फायदेमंद उपाय है रफेजेस आधारित पशुपालन.

Kisan India
नोएडा | Published: 29 Aug, 2025 | 02:48 PM

पशुपालन में हम अक्सर ध्यान सिर्फ दाना या दूध उत्पादन पर देते हैं, लेकिन असली सेहत की जड़ है रफेजेस. ये वो फाइबर युक्त चारा है जो गाय-भैंस जैसे जुगाली करने वाले पशुओं के पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है. रफेजेस में घास, भूसा, पुआल और साइलेंज जैसे चीजें आती हैं जो न केवल उनके पेट को साफ रखती हैं बल्कि ऊर्जा भी देती हैं. आज किसान और पशुपालक अगर रफेजेस को सही तरीके से अपनाएं, तो दूध उत्पादन में भी सुधार देखा जा सकता है.

रफेजेस क्या हैं और क्यों जरूरी हैं?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रफेजेस वो फाइबर युक्त चारा होता है जिसे पचाने में समय लगता है, लेकिन यही धीरे-धीरे एनर्जी देता है. गाय, भैंस, बकरी जैसे पशु जुगाली करते हैं, यानी वो खाया हुआ खाना दोबारा चबाते हैं. इसके लिए रफेजेस जरूरी है क्योंकि ये उनके पेट को ठीक से काम करने में मदद करता है. बिना रफेजेस के, पेट की गति धीमी पड़ सकती है जिससे पशु बीमार हो सकते हैं और दूध उत्पादन पर भी असर पड़ता है.

पशुओं की सेहत के लिए रामबाण

रफेजेस न सिर्फ पेट को साफ रखते हैं, बल्कि गैस, अपच और पेट से जुड़ी बीमारियों से भी बचाते हैं. जब पशु का पाचन सही होता है, तो वो चारा अच्छे से खा पाते हैं और दूध ज्यादा देते हैं. भूसा, पुआल और हरी घास सबसे आम रफेजेस हैं जो आसानी से हर गांव में उपलब्ध होते हैं. इन्हें सही मात्रा में देना बेहद जरूरी होता है ताकि न पोषण की कमी हो और न ही ज्यादा फाइबर से नुकसान.

साइलेंज- भविष्य का रफेज

आजकल एक नया और कारगर रफेज सामने आया है- साइलेंज. ये एक तरह का संचित चारा होता है, जिसे खास तकनीक से हरा चारा सड़ने से पहले ही सुरक्षित किया जाता है. इससे न सिर्फ साल भर हरे चारे की कमी नहीं होती बल्कि इसमें मौजूद पोषक तत्व भी लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं. जिन क्षेत्रों में सूखा पड़ता है या चारे की कमी होती है, वहां साइलेंज वरदान साबित हो सकता है.

सही रफेज- ज्यादा दूध, ज्यादा आमदनी

पशुपालकों के लिए रफेजेस सिर्फ पोषण का जरिया नहीं बल्कि आमदनी बढ़ाने का साधन भी है. जब पशु का पाचन सही होता है, तो उसका शरीर स्वस्थ रहता है और वह अधिक दूध देता है. एक स्वस्थ पशु लंबे समय तक काम करता है, बीमारियों से दूर रहता है और पशुपालक को आर्थिक रूप से फायदा पहुंचाता है. इसलिए रफेजेस को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए बल्कि रोज की खुराक में जरूर शामिल करना चाहिए.

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