अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला, भारतीय मेथी-मूंग उगाकर रच दिया इतिहास

शुभांशु ने अंतरिक्ष में एक और बेहद अहम प्रयोग किया, माइक्रोएल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल पर. इन शैवालों की खासियत यह है कि ये भोजन, ऑक्सीजन और यहां तक कि बायोफ्यूल उत्पादन में सक्षम हैं.

नई दिल्ली | Updated On: 15 Jul, 2025 | 04:47 PM

अंतरिक्ष में विज्ञान के साथ खेती की कहानी लिखने वाले भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब सुरक्षित धरती पर लौट आए हैं. अमेरिका की Axiom Space कंपनी के वाणिज्यिक मिशन Axiom-4 का हिस्सा रहे शुभांशु न केवल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 12 दिन तक रहे, बल्कि वहां मेथी और मूंग जैसे देसी बीजों को अंकुरित कर एक ऐतिहासिक प्रयोग भी किया. अब वे उन पहले भारतीयों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष में खेती का सफल प्रयास किया है.

उनकी वापसी Dragon Capsule Grace के जरिए हुई, जिसने करीब 22.5 घंटे की लंबी और रोमांचक यात्रा के बाद कैलिफोर्निया के तट पर सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन किया. पैराशूट से धीमी गति में समुद्र में उतरे इस कैप्सूल में न केवल अंतरिक्षयात्री थे, बल्कि भारत और दुनिया के लिए बेहद अहम वैज्ञानिक शोध सामग्री भी सुरक्षित लाई गई.

मेथी-मूंग के बीज लेकर गए थे अंतरिक्ष

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, अपने मिशन के अंतिम चरण में शुभांशु शुक्ला ने एक खास प्रयोग किया, जिसमें धरती पर उगने वाले दो भारतीय बीज, मेथी और मूंग को अंतरिक्ष में उगाया. उन्होंने पेट्री डिश में इन बीजों को अंकुरित होते हुए देखा, तस्वीरें लीं और फिर इन बीजों को स्टोरेज फ्रीजर में रखा. यह प्रयोग इस बात को समझने के लिए किया गया कि माइक्रोग्रैविटी यानी गुरुत्वहीनता का पौधों के अंकुरण और शुरुआती विकास पर क्या असर होता है.

धरती पर लौटकर बीजों की होगी पीढ़ी-दर-पीढ़ी खेती

ये बीज अब वापस धरती पर लाए जा चुके हैं और कई पीढ़ियों तक इन्हें उगाकर इन पर अध्ययन किया जाएगा. Axiom Space के अनुसार, इस रिसर्च से पता चलेगा कि अंतरिक्ष में रहने के बाद इन बीजों की जेनेटिक्स, सूक्ष्मजीव समुदाय, और पोषण संबंधी गुणों में क्या बदलाव आए हैं. इसका उद्देश्य अंतरिक्ष और कठिन वातावरण में भविष्य की खेती को संभव बनाना है.

भारत के वैज्ञानिकों की मेहनत, शुभांशु की प्रेरणा

यह प्रयोग कर्नाटक के University of Agricultural Sciences, Dharwad के वैज्ञानिक डॉ. रविकुमार होसमणि और IIT Dharwad के डॉ. सुधीर सिद्दापुरेड़ी के नेतृत्व में हुआ. दोनों संस्थानों ने खासतौर पर इन बीजों को तैयार किया और ISRO के सहयोग से उन्हें अंतरिक्ष में भेजा गया.

माइक्रोएल्गी पर भी हुआ प्रयोग

शुभांशु ने अंतरिक्ष में एक और बेहद अहम प्रयोग किया, माइक्रोएल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल पर. इन शैवालों की खासियत यह है कि ये भोजन, ऑक्सीजन और यहां तक कि बायोफ्यूल उत्पादन में सक्षम हैं. अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशनों के लिए ये मानव जीवन के समर्थन में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकती हैं.

अंतरिक्ष में भी हरियाली

शुभांशु ने एक और प्रयोग के तहत छह तरह की फसल बीजों की तस्वीरें लीं और उनका डेटा रिकॉर्ड किया. इन बीजों को पृथ्वी पर लाकर कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा ताकि पता लगाया जा सके कि कौन-से पौधे लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए ज्यादा अनुकूल हो सकते हैं.

Published: 15 Jul, 2025 | 04:43 PM