MSP से दूर हैं देश के अधिकतर धान किसान, इन राज्यों में सबसे खराब हालात

CACP ने कहा है कि बिहार, यूपी, बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में खरीद व्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है. इसके लिए भंडारण, गोदाम और संस्थागत ढांचे को बेहतर बनाना होगा ताकि ज्यादा किसान MSP योजना से जुड़ सकें.

नई दिल्ली | Updated On: 30 May, 2025 | 01:15 PM

देश में सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद, सिर्फ 17.3 फीसदी धान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल बेचने का फायदा मिला है. यह जानकारी कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की एक ताजा रिपोर्ट में दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब और तेलंगाना जैसे राज्य इस मामले में सबसे आगे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में किसानों को इसका बहुत कम लाभ मिल रहा है.

किन राज्यों को कितना फायदा?

पंजाब: 94 फीसदी किसान MSP से लाभान्वित हुए

तेलंगाना: 76 फीसदी किसान

छत्तीसगढ़: 58.8 फीसदी किसान

ओडिशा: 33.7 फीसदी

पश्चिम बंगाल: 15.6 फीसदी

उत्तर प्रदेश: केवल 5.8 फीसदी

बिहार: सिर्फ 4.1 फीसदी

कुछ अन्य राज्यों जैसे असम, कर्नाटक, झारखंड और बिहार में तो 5 फीसदी से भी कम किसानों को MSP पर धान बेचने का मौका मिला.

धान उत्पादन में टॉप लेकिन खरीद में पीछे

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल देश के सबसे बड़े धान उत्पादक राज्य हैं और मिलकर देश के कुल धान उत्पादन का करीब 24 फीसदी हिस्सा देते हैं. फिर भी, इन दोनों राज्यों से MSP पर बहुत कम मात्रा में धान खरीदा गया, यूपी से 7.4 फीसदी और बंगाल से सिर्फ 3.7 फीसदी.

क्यों जरूरी है सुधार?

CACP ने कहा है कि बिहार, यूपी, बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में खरीद व्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है. इसके लिए भंडारण, गोदाम और संस्थागत ढांचे को बेहतर बनाना होगा ताकि ज्यादा किसान MSP योजना से जुड़ सकें.

MSP पर खरीद क्यों घटी?

2017 से 2021 के बीच MSP पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 1.31 करोड़ तक पहुंच गई थी. लेकिन 2021-22 से इसमें गिरावट शुरू हुई और 2023-24 में यह संख्या घटकर 1.1 करोड़ रह गई यानी करीब 19 फीसदी की कमी. इसका एक बड़ा कारण खुले बाजार में अच्छे दाम मिलना भी बताया गया है.

केंद्र के लिए कौन दे रहा है चावल?

देश में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत हर साल लगभग 38 मिलियन टन (MT) चावल जरूरतमंदों को दिया जाता है. इसके लिए चावल मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों से आता है. ये राज्य देश की कुल सरकारी चावल खरीद का 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा देते हैं.

धान से चावल कैसे बनता है?

जब FCI और राज्य एजेंसियां किसानों से धान खरीदती हैं, तो उसे मिलों में भेजा जाता है जहां से चावल निकाला जाता है. हर 100 किलो धान से लगभग 67 किलो चावल निकलता है.

Published: 30 May, 2025 | 09:58 AM