सरकार ने किसानों से खरीदी 100 लाख गांठ कपास, फिर भी विदेशी कपास पर निर्भरता क्यों? जानें वजह

MSP पर कपास खरीद में सरकार को करीब 37,500 रुपये करोड़ खर्च करने पड़े हैं. आगामी सीजन में MSP में 8 फीसदी बढ़ोतरी की गई है, जिससे यह खर्च और बढ़ेगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 19 Jun, 2025 | 09:40 AM

भारत में कपास को लेकर एक तरफ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर रिकॉर्ड खरीद हो रही है, वहीं दूसरी ओर विदेशी कपास का आयात भी तेजी से बढ़ा है. कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने हाल ही में जानकारी दी है कि चालू सीजन में किसानों से 100 लाख गांठ कपास MSP पर खरीदी गई, जबकि 35 लाख गांठ बाजार में बेची गई हैं.

कपास आयात में बंपर बढ़ोतरी

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2025 में कपास के आयात में 133 फीसदी की उछाल दर्ज की गई है, जो बीते साल की तुलना में काफी ज्यादा है. अप्रैल-मई 2025 के दौरान कपास आयात के मूल्य में 131 फीसदी की बढ़ोतरी भी देखी गई है.

क्यों बढ़ रहा है आयात?

भारतीय कपास महासंघ के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास भारत की तुलना में लगभग 8 फीसदी सस्ता मिल रहा है. यही वजह है कि भारतीय मिलें 11 फीसदी आयात शुल्क के बावजूद भी विदेश से कपास मंगा रही हैं, क्योंकि यह घरेलू कपास से 1-2 फीसदी सस्ता पड़ रहा है.

MSP पर खरीद के पीछे की रणनीति

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, CCI के चेयरमैन ललित कुमार गुप्ता ने बताया कि अक्टूबर 2024 से शुरू हुए सीजन में 500 से ज्यादा खरीद केंद्र खोले गए थे. बाजार में मांग कम होने के बावजूद किसानों को राहत देने के लिए रिकॉर्ड खरीद की गई. MSP पर कपास खरीद में सरकार को करीब 37,500 रुपये करोड़ खर्च करने पड़े हैं. आगामी सीजन में MSP में 8 फीसदी बढ़ोतरी की गई है, जिससे यह खर्च और बढ़ेगा.

वहीं भारतीय कपड़ा उद्योग का मानना है कि आयात शुल्क को कम किया जाए, ताकि वह अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके. फिलहाल, उच्च शुल्क के चलते मिलें दबाव में हैं, और घरेलू खरीद की बजाय सस्ती विदेशी कपास की ओर झुक रही हैं.

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