Poultry Business: कम दाने में तैयार होंगी मोटी मुर्गियां, ये देसी तरीका देगा किसानों को शानदार मुनाफा

मुर्गी पालन में एक खास देसी चारा किसानों की कमाई तेजी से बढ़ा रहा है. यह तरीका लागत को आधा और अंडा उत्पादन को दोगुना कर रहा है. मुर्गियां तेजी से वजन पकड़ती हैं और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. कम जगह और कम खर्च में यह मॉडल किसानों के लिए बड़ा सहारा बन रहा है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 4 Dec, 2025 | 09:00 AM

Poultry Farming : गांव-देहात में अक्सर बुज़ुर्ग मजाक में कहते है कि मुर्गी अगर सही तरीके से खिलाओ, तो रोज सोना दे सकती है. अब ये बात मजाक नहीं रही. देसी तरीके अपनाने वाले कई किसान कम लागत में मुर्गी पालन कर हर महीने मोटी कमाई कर रहे हैं. खास बात यह है कि मुर्गियों को एक खास तरह का चारा खिलाने से अंडा उत्पादन और वजन दोनों तेजी से बढ़ रहा है.

कम लागत में मुर्गी पालन का नया तरीका

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई किसान अब बाजार से छोटे चूजे खरीदकर घर पर ही पालन शुरू कर रहे हैं. सही तापमान, साफ जगह और पोषक आहार  देकर वे मुर्गियों को तेजी से तैयार कर लेते हैं. शुरुआती 10 दिन मुर्गियों के लिए सबसे अहम होते हैं. इस समय अगर उन्हें प्रोटीन और विटामिन से भरपूर आहार मिले, तो बीमारी का खतरा बहुत कम हो जाता है. यही वजह है कि किसान इस अवधि में खास ध्यान रखते हैं, क्योंकि यह आगे के उत्पादन को काफी प्रभावित करता है.

दाने की जगह 70 फीसदी अजोला घास

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देसी तकनीक अपना रहे किसान दाना कम देकर अजोला घास  का उपयोग बढ़ा रहे हैं. यह पानी में उगने वाली एक हरी पौधीयुक्त खाद है, जिसमें भरपूर प्रोटीन होता है. चूजों को लगभग 30 फीसदी दाना और 70 फीसदी अजोला खिलाया जाता है. इससे दाने का खर्च बहुत कम हो जाता है और मुर्गियों की ग्रोथ भी तेज होती है. अजोला की खासियत यह है कि इसे घर पर ही बेहद कम खर्च में उगाया जा सकता है. कई कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, यह मुर्गियों के लिए सुपरफूड  की तरह काम करता है. इसे खाने वाली मुर्गियां कम बीमार होती हैं और अंडे भी ज्यादा देती हैं. यही वजह है कि बड़ी संख्या में किसान इसे पसंद कर रहे हैं.

25-30 रुपये का चूजा, 90 दिन बाद तैयार मुर्गा

रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में चूजा 25-30 रुपये में मिल जाता है. सही देखभाल और पोषक आहार मिलने पर यह 75 दिनों में 700-800 ग्राम का हो जाता है और 90 दिन में लगभग 1 किलो वजन का बन जाता है. थोक बाजार में लगभग 250 रुपये प्रति किलो और खुदरा बाजार में 300-400 रुपये प्रति किलो तक बिक्री हो जाती है. कम लागत और तेजी से बढ़ने वाली खुराक के कारण यह कारोबार किसानों की बड़ी आय का स्रोत बनता जा रहा है.

मुर्गी पालन बन रहा किसानों की नई कमाई का आधार

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कम खर्च और लगातार कमाई की वजह से अब किसान पारंपरिक खेती  के साथ-साथ मुर्गी पालन को भी अपना रहे हैं. तिलहन, दलहन या सब्जी खेती के साथ यह काम आसानी से किया जा सकता है. इससे घर की फालतू जगह का उपयोग भी हो जाता है और हर महीने एक स्थिर आय बनी रहती है. कम लागत में तैयार होने वाला यह मॉडल साबित कर रहा है कि थोड़ी तकनीक, थोड़ी समझदारी और सही आहार देकर मुर्गी पालन को बेहद लाभकारी बनाया जा सकता है.

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Published: 4 Dec, 2025 | 09:00 AM

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