शीतलहर में लापरवाही पड़ सकती है भारी, जानें गाय-भैंस को ठंड से बचाने के आसान देसी उपाय

सर्दियों की कड़ाके की ठंड और शीतलहर गाय-भैंस की सेहत पर सीधा असर डालती है. सही देखभाल न होने पर बीमारी और दूध उत्पादन में गिरावट आती है. समय रहते पशुओं को ठंड से बचाने के आसान उपाय अपनाकर नुकसान और इलाज के बढ़ते खर्च से बचा जा सकता है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 13 Dec, 2025 | 12:47 PM

Winter Animal Care: कड़ाके की ठंड सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि गाय-भैंस जैसे पशुओं को भी बुरी तरह प्रभावित करती है. सर्द हवाएं, गिरता तापमान और शीतलहर का सीधा असर पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन पर पड़ता है. कई पशुपालक इसे हल्के में ले लेते हैं, लेकिन बाद में बीमारी, दूध की कमी और इलाज पर मोटा खर्च उठाना पड़ता है. अगर समय रहते सही देखभाल कर ली जाए, तो पशुओं को ठंड से बचाया जा सकता है और नुकसान से भी. आइए आसान भाषा में समझते हैं, सर्दियों में गाय-भैंस की देखभाल के जरूरी तरीके.

शीतलहर में पशुओं पर क्यों बढ़ जाता है खतरा?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ठंड बढ़ते ही पशुओं  का शरीर सामान्य तापमान बनाए रखने में ज्यादा ऊर्जा खर्च करता है. खासतौर पर भैंसें ठंड जल्दी पकड़ लेती हैं. शीतलहर के दौरान उनका शरीर ठंडा पड़ने लगता है, जिससे सर्दी-जुकाम, खांसी, सांस लेने में परेशानी और कमजोरी जैसी समस्याएं सामने आती हैं. इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. अगर पशु खुले में बंधे हों या ठंडी जमीन पर बैठे हों, तो खतरा और बढ़ जाता है. इसलिए सर्दियों में पशुओं की सुरक्षा सबसे जरूरी हो जाती है.

ठंड से बचाव के लिए शेड और बाड़े की सही व्यवस्था

सर्दियों में पशुओं को खुले में बांधने से बचना चाहिए. उन्हें ऐसे बाड़े में रखें, जहां ठंडी हवा सीधे न लगे. रात के समय दरवाजे और खिड़कियां ढककर रखें, ताकि शीतलहर अंदर न घुसे. फर्श बहुत ठंडा  न हो, इसके लिए सूखी मिट्टी, भूसा या रबर मैट का इस्तेमाल करें. गीली जगह पर पशु बिल्कुल न रखें, क्योंकि नमी ठंड को और बढ़ा देती है. पशुओं के शरीर को गर्म रखने के लिए बोरी, पुराने कंबल या मोटे कपड़े से ढंकना भी बेहद फायदेमंद होता है.

सर्दियों में पशुओं को क्या खिलाएं?

ठंड के मौसम में पशुओं को ज्यादा ऊर्जा  की जरूरत होती है. इसलिए उनके आहार में बदलाव जरूरी है. हरा चारा, भूसा, दाना और मिनरल मिक्सचर संतुलित मात्रा में दें. गुड़ और दलहनों का चूरा शरीर को गर्म रखने में मदद करता है और ताकत भी देता है. इसके साथ ही पशुओं को गुनगुना पानी पिलाएं, ताकि शरीर का तापमान बना रहे और पानी की कमी न हो. सही आहार से पशु स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन  भी प्रभावित नहीं होता.

बीमारी के लक्षण पहचानें और देसी उपाय अपनाएं

सर्दियों में अगर पशु खाना कम करने लगे, सुस्त दिखे या दूध अचानक घट जाए, तो यह बीमारी का संकेत हो सकता है. ऐसे में लापरवाही न करें और समय पर जांच कराएं. शुरुआती इलाज से बड़ा नुकसान टल जाता है. ठंड से बचाने के लिए महंगे कवर खरीदना जरूरी नहीं है. घर में मौजूद पुराने टाट के बोरे, ऊनी कंबल या स्वेटर से भी पशुओं के लिए गर्म कवर बनाया जा सकता है. बोरी में गर्दन के लिए जगह बनाकर रस्सी से बांध दें, यह जैकेट की तरह काम करेगा.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?