ग्रामीण भारत में पशुपालन केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा है. गाय, भैंस, बकरी या भेड़—इन पशुओं की सेहत सीधी तौर पर किसान की आमदनी से जुड़ी होती है. अक्सर किसान हरा चारा, सूखा भूसा, दाना और खली तो नियमित रूप से देते हैं, लेकिन कई बार एक छोटी-सी चीज को नजरअंदाज कर देते हैं, और वह है नमक. देखने में साधारण लगने वाला नमक पशुओं के शरीर के लिए उतना ही जरूरी है, जितना इंसानों के लिए. अगर पशुओं के आहार में नमक की कमी हो जाए, तो इसका असर धीरे-धीरे उनकी सेहत, दूध उत्पादन और बढ़वार पर साफ दिखने लगता है.
नमक की भूमिका
पशुओं के शरीर को सही तरीके से काम करने के लिए कई खनिजों की जरूरत होती है. नमक मुख्य रूप से सोडियम और क्लोराइड का स्रोत है, जो शरीर में पानी और खनिजों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है. यही संतुलन तंत्रिका तंत्र, मांसपेशियों की गतिविधि और रक्त संचार के लिए जरूरी होता है. जब पशु नियमित रूप से नमक लेते हैं, तो उनका शरीर गर्मी, मेहनत और दूध उत्पादन के दबाव को बेहतर ढंग से संभाल पाता है.
पाचन क्रिया और भूख बढ़ाने में मददगार
नमक का एक बड़ा फायदा यह है कि यह पशुओं की पाचन क्रिया को सुधारता है. नमक लार के उत्पादन को बढ़ाता है और लार ही वह माध्यम है, जो चारे को ठीक से चबाने और पेट में पचाने में मदद करती है. जब पाचन सही रहता है, तो पशु आहार से मिलने वाले पोषक तत्वों को अच्छी तरह कर पाते हैं. इसके साथ ही नमक भूख बढ़ाने में भी सहायक होता है. जिन पशुओं को नमक नियमित रूप से मिलता है, वे चारा मन लगाकर खाते हैं और कमजोर नहीं पड़ते.
हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती
दुधारू पशुओं को रोजाना काफी मेहनत करनी पड़ती है, खासकर वे पशु जो खेतों में काम करते हैं या ज्यादा दूध देते हैं. ऐसे में उनकी हड्डियों और मांसपेशियों का मजबूत होना बेहद जरूरी है. नमक में मौजूद खनिज हड्डियों, ऊतकों और मांसपेशियों के विकास में मदद करते हैं. इससे पशु लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं और जल्दी थकते नहीं हैं.
पानी के संतुलन और निर्जलीकरण से बचाव
गर्मी के मौसम में पशुओं को सबसे ज्यादा खतरा निर्जलीकरण का होता है. नमक शरीर में पानी को रोककर रखने और उसका सही वितरण करने में मदद करता है. यही वजह है कि जिन पशुओं को पर्याप्त नमक मिलता है, वे गर्मी में भी अपेक्षाकृत स्वस्थ रहते हैं और पानी की कमी से होने वाली समस्याओं से बचे रहते हैं.
दूध उत्पादन पर सीधा असर
दुधारू पशुओं में नमक की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है. नमक की कमी होने पर सबसे पहले दूध उत्पादन पर असर पड़ता है. कई पशुपालकों ने यह अनुभव किया है कि जैसे ही पशु के आहार में नमक की मात्रा संतुलित की जाती है, दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार दिखने लगता है. यही कारण है कि पशु चिकित्सक भी दुधारू पशुओं के आहार में नमक शामिल करने की सलाह देते हैं.
नमक की कमी के संकेत क्या हैं
जब पशु के शरीर में नमक की कमी होने लगती है, तो उसके कुछ साफ संकेत दिखाई देने लगते हैं. पशु कमजोर नजर आने लगता है, उसकी भूख कम हो जाती है, मांसपेशियों में जकड़न या ऐंठन दिख सकती है. कई बार बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं और दूध उत्पादन में भी गिरावट आने लगती है. ऐसे लक्षण दिखें तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.
पशुओं को नमक कैसे दें
पशुओं को नमक देने के कई आसान और सुरक्षित तरीके हैं. आमतौर पर नमक को दाने या चारे में मिलाकर दिया जाता है. कई पशुपालक नमक की चाट ब्लॉक भी रखते हैं, जिसे पशु अपनी जरूरत के अनुसार चाट लेते हैं. कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे कमजोरी या पाचन संबंधी समस्या होने पर, पशु चिकित्सक नमक का घोल देने की सलाह भी देते हैं.
संतुलन ही है असली कुंजी
यह ध्यान रखना जरूरी है कि नमक की जरूरत जरूर है, लेकिन अधिक मात्रा भी नुकसानदेह हो सकती है. इसलिए पशु की उम्र, वजन, दूध उत्पादन और मौसम को ध्यान में रखते हुए संतुलित मात्रा में नमक देना ही सबसे बेहतर तरीका है.