मछली पालन शुरू करने से पहले अगर सबसे अहम कोई काम है तो वो है तालाब के लिए सही जगह का चुनाव. क्योंकि, सिर्फ गड्ढा खोद देने से मछलियां नहीं पनपतीं, मुनाफा नहीं बनता. असली खेल है जगह के चुनाव का. अगर जमीन गलत चुन ली तो सालभर की मेहनत, पैसा और सपना तीनों डूब जाएंगे.
सही जगह से मिलती है मछली पालन में सफलता
हरियाणा सरकार के मछली पालन विभाग के मुताबिक, मछली पालन में सफलता इस बात पर टिकी होती है कि तालाब कहां और किस जमीन में बनाया गया है. अब सवाल उठता है कि सही जगह कैसी हो? नीचे पढ़िए वो जरूरी बातें जो हर मत्स्य पालक को जाननी चाहिए.
पानी रहेगा तभी मछली बचेगी
हरियाणा सरकार के मत्स्य पालन विभाग के मुताबिक, मछली पालन की असली सफलता इस बात पर टिकी है कि तालाब कहां और किस ज़मीन में बनाया गया है. सबसे जरूरी बात यह है कि तालाब ऐसी जगह बनाएं जहां सालभर पानी की उपलब्धता बनी रहे. तालाब बनाते समय ध्यान रखें कि पास में नहर, बोरवेल या स्थायी जल स्रोत जरूरी है. इसके अलावा तालाब की गहराई भी 1.25 से 2 मीटर तक होनी चाहिए.
बिजली-सड़क का कनेक्शन जरूरी
तालाब ऐसी जगह हो जहां बिजली की सुविधा हो ताकि मोटर और एरेटर जैसे उपकरण चल सकें. इसके साथ ही तालाब मुख्य या ग्रामीण सड़क से जुड़ा हो, ताकि मछली को समय पर मंडी तक पहुंचाया जा सके. परिवहन में देरी का मतलब सीधा घाटा है.
तालाब की जमीन हल्की ऊंचाई पर
तालाब दोमट मिट्टी यानी काली और थोड़ी रेतीली जमीन पर बने तो बेहतर है, क्योंकि यह पानी को लंबे समय तक रोक कर रखती है. तालाब की जगह थोड़ी ऊंचाई पर होनी चाहिए ताकि बारिश का पानी उसमें बहे नहीं, लेकिन इतनी ऊंची नहीं कि पानी भरने में दिक्कत आए.
साफ पानी का चयन करें
शोरे या अत्यधिक क्षारीय जमीन मछली के लिए हानिकारक होती है. तालाब का पानी अगर हमेशा गंदा दिखे या जलकुंभी से भरा हो तो वो मछलियों की जान ले सकता है. मछली पालन के लिए साफ, हल्के हरे रंग का पानी सबसे अच्छा माना जाता है.
जांच और मजदूरी का रखें ध्यान
तालाब खुदवाने से पहले मिट्टी और पानी की जांच जरूर कराएं. इतना ही नहीं तालाब बनाते समय ध्यान रखें कि तालाब के पास सस्ता और सहज मजदूर उपलब्ध हो. इससे लागत कम होगी और मुनाफा ज्यादा होगा.